24 Newe Update बांसवाड़ा। बांसवाड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 सितंबर को राजस्थान-मध्यप्रदेश की सीमा पर करीब 45 हजार करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा परियोजना का शिलान्यास करने बांसवाड़ा पहुंचेंगे। इससे पहले ही परियोजना से प्रभावित लोगों की आवाज बुलंद होने लगी है।
मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) सांसद राजकुमार रोत विस्थापितों के साथ जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को 30 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा।
करीब दो घंटे तक चले इस प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं और विस्थापित परिवारों ने जमकर नारेबाजी की। सांसद रोत ने कहा कि कलेक्टर ने कुछ मांगों पर सहमति का आश्वासन दिया है, लेकिन सभी मुद्दों का समाधान नहीं हुआ। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा।
सांसद रोत के आरोप
धरना स्थल पर सांसद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां इस मामले में मिली हुई हैं। जमीन अधिग्रहण और परियोजना संबंधी सभी कार्य दोनों ही दलों की सरकारों में आगे बढ़ाए गए हैं। उन्होंने कहा कि “कमल और कांग्रेस एक हैं।”
मुआवजा और पर्यावरण को लेकर सवाल
सांसद ने आरोप लगाया कि प्रभावित किसानों से 50 लाख प्रति बीघा मुआवजा देने का माहौल बनाया गया, लेकिन अंततः उन्हें केवल 7.68 लाख प्रति बीघा ही मिला। उन्होंने मांग की कि एनपीसीआईएल अपने आश्वासन के अनुसार उचित मुआवजा दे।
साथ ही परियोजना से निकलने वाले रिएक्टर के दूषित पानी को माही नदी में छोड़ने की योजना का भी विरोध किया गया। रोत ने कहा कि इससे जलीय जीव-जंतु, मछुआरों की आजीविका और स्थानीय जैव विविधता प्रभावित होगी।
विस्थापन को लेकर गंभीर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि परियोजना के लिए जिन परिवारों को विस्थापित किया जा रहा है, उनमें से कई पहले ही माही बांध बनने पर विस्थापित हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एक परिवार को जीवनकाल में दो बार विस्थापित नहीं किया जा सकता। यह फैसला सीधे-सीधे न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।
प्रमुख मांगें
प्रत्येक बेघर परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
प्रत्येक किसान को जमीन के बदले जमीन दी जाए।
योजना का विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
प्रभावित किसानों को एक ही जगह कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराई जाए।
प्रभावित परिवार के 18 वर्ष से ऊपर के सदस्य को नौकरी दी जाए।
विवाहित पुत्रों को नगर परिषद क्षेत्र में 1600 वर्गफीट मकान उपलब्ध कराए जाएं।
भूमिहीन किसानों को जमीन, नौकरी व सुविधाएं दी जाएं।
परियोजना से होने वाले मुनाफे का 20 प्रतिशत हिस्सा 100 साल तक किसानों को मिले।
प्रत्येक प्रभावित परिवार को 25 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाए।
बेरोजगार युवाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण और नौकरी उपलब्ध कराई जाए।
प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा से पहले विस्थापितों का यह आंदोलन राजनीतिक सरगर्मी को और तेज कर रहा है। अब देखना होगा कि मोदी के दौरे से पहले इन मांगों पर सरकार और प्रशासन की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं।
न्यूक्लियर पावर प्लांट के विस्थापितों के समर्थन में सांसद राजकुमार रोत का कलेक्ट्रेट पर धरना

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