24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। देश में इस साल मानसून समय से पहले पहुंचने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट से टकराएगा, जो सामान्य तिथि 1 जून से 4 दिन पहले है। अगर यह भविष्यवाणी सटीक साबित होती है, तो यह 16 साल में पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी आएगा। इससे पहले 2009 में 23 मई को और 2024 में 30 मई को मानसून केरल पहुंचा था।
सामान्य से अधिक बारिश की संभावना
अर्थ एंड साइंस मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी एम. रविचंद्रन ने बताया कि इस साल जून से सितंबर के बीच सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। 4 महीनों के दौरान देश में 87 सेमी औसत के मुकाबले 105% बारिश होने का अनुमान है। आमतौर पर 96 से 104% बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है, जबकि 104 से 110% ‘सामान्य से अधिक’ और 110% से अधिक ‘अत्यधिक’ बारिश की श्रेणी में आता है।
मानसून की प्रगति और संभावनाएं
IMD ने कहा कि 13 मई तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मानसून की एंट्री हो सकती है। इसके बाद मानसून 1 जून को केरल पहुंचेगा और 8 जुलाई तक पूरे भारत को कवर करेगा। इसकी वापसी 17 सितंबर से राजस्थान के रास्ते शुरू होकर 15 अक्टूबर तक पूरी होगी।
पिछले 5 सालों में मानसून की सटीकता
पिछले 5 सालों में IMD और प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट का मानसून का अनुमान काफी हद तक सही साबित हुआ है। उदाहरण के लिए, 2024 में 108% बारिश हुई थी, जबकि IMD ने 106% और स्काईमेट ने 102% का अनुमान लगाया था।
अल नीनो का प्रभाव नहीं, ला नीना की संभावना
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना नहीं है, जिसका अर्थ है कि सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण उस वर्ष सामान्य से 6% कम बारिश हुई थी।
भारत की इकोनॉमी और मानसून
भारत में लगभग 42.3% आबादी कृषि पर निर्भर है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका 18.2% योगदान है। मानसून के दौरान 70% से 80% किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं। अच्छी बारिश न केवल फसलों की बेहतर पैदावार सुनिश्चित करती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती है, जिससे महंगाई नियंत्रित रहती है और किसानों की आय बढ़ती है।
इतिहास में मानसून का रिकॉर्ड
IMD के आंकड़ों के अनुसार, 1918 में मानसून सबसे जल्दी 11 मई को केरल पहुंचा था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को पहुंचा था। IMD ने स्पष्ट किया है कि केरल में जल्दी या देर से मानसून का आगमन पूरे देश में वर्षा के पैटर्न को निर्धारित नहीं करता। देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून की प्रगति अलग-अलग समय पर होती है।
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