24 News Update. ये गुस्सा, ये आक्रोष, ये मायूसी के मंजर एक बार फिर उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की आत्मा को झकझोर रहे हैं। हंसी से खिले चेहरे, दूसरों की सेवा में आतुर रहने वाले चेहरे, विश्वविद्यालय के हर काम में अग्रणी रहने वाले चेहरे अब गहरे आक्रोष से भरे हुए हैं। बरसों की मेहनत पर ऐसे प्रोफेशनल लोगों की नजर लग गई है जिनकी संवेदनाएं मर चुकी हैं। जो अपने हितों को साधने के लिए साम, दाम, दंड और भेद की रणनीति पर चल रहे हैं। बड़ी ही निष्ठुरता से हर बार तनख्वाह और नौकरी पर प्रश्न चिन्ह लगाकर अपने पावर का सामूहिक रूप से मिसयूज करते हैं। एसएफएबी कर्मचारियों की मायूसियों में अपनी जीत देखते हैं। किसी भी हाल में उनको हारते हुए देखना चाहते हैं।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कर्मचारी संगठन की ओर से आज लगातार दूसरे दिन हड़ताल का मोर्चा जारी है। विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में आंदोलन के नारों के साथ ही ओम नमः शिवाय के मंत्र भी गूंज रहे हैं। आलम यह है कि सभी उच्च अधिकारी आज तय समय पर विश्वविद्यालय तो पहुंचे हैं मगर अनदेखी करते हुए अपने अपने चेंबर में चले गए हैं। उनके चेहरों पर शिकन साफ देखे जा सकते हैं लेकिन किसी के आदेश ने उनके हाथ बांध रखे हैं। किसी की जिद्द के आगे वे भी अपने होंठ सिले बैठे हैं। उनके हाथ में डिसिजन पावर तो है मगर फैसले की कलम पर किसी ने पहरा बिठा रखा है। विश्वविद्यालय के अधिकांश काम ठप हो गए हैं,बाहर से आने वाले परेशान हो रहे हैं लेकिन इनके कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सब तरफ एक ही मंत्र चल रहा है कि बॉस मैनजमेंट करते रहो, बॉस की गुडबुक में रहो और अपने हितों को साधते रहो। सुखाड़िया विश्वविद्यालय में यह मंजर अभूतपूर्व है। यह एटीट्यूड अभूतपूर्व है। क्योंकि इससे पहले इतनी हठधर्मिता कभी नहीं देखी गई। इतनी बेरूखी कभी नहीं देखी गई।
आपको बता दें कि कर्मचारियों की मांगें वही हैं तो एक साल पहले थी। नौकरी में स्थायित्व, नियमित तनख्वाह, महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश, दिवंगत हुए कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी। यह अचरज की बात है कि इन्हीं मांगों के चलते कई बार हड़ताल हो चुकी है और कई बार सार्वजनिक रूप से हड़तालें बड़ी बड़ी घोषणाएं करके तुड़वाई जा चुकी हैं। लेकिन हर बार एसएफएबी कर्मचारियों को धोखा ही मिला है। कभी नेताओं ने धोखा दिया तो कभी प्रशासनिक धोखा हुआ। कल एक बार फिर से कर्मचारियों को हड़ताल का ऐलना करना पड़ा। वह भी तब जब गेस्ट फेकल्टी के इंटरव्यू होने वाले है।। बिलोता में कॉलेज पर ताला लगाने की नौबत है क्योंकि सभी संविदाकर्मी हड़ताल पर हैं। स्वीपर ने भी हड़ताल का झाडू हाथ में थाम नौकरी खाने वालों के इरादों का सफाया करने की ठान ली है। लेकिन फिर भी प्रशासन टस से मस नहीं हो रहा है। डेमेज कंट्रोल के लिए परमानेंट कर्मचारियों व शिक्षकों को कामन संभलाई जा रही है। लेकिन यह सब कर पाना उनके लिए भी बहुत मुश्किलों भरा सबब और सबक साबित हो रहा है। कुल मिला कर सभी कॉलेजों के 300 जने स्ट्राइक पर हैं। काम प्रभावित होने के बीच हमने जब कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि किसी का ईगो हर्ट हो गया है। वो बेक चैनल टॉक्स में धमका रहे हैं, नौकरी खाने तक की बातें कही जा रही हैं। तरह तरह से प्रेशर बनाए जा रहे हैं लेकिन उनकी एकता के आगे सारे प्रेशर कूकर सीटियां देने लग गए हैं। उनमें से भाप निकल कर बता रही है कि ज्यादा दबाव सहन नहीं किया जा सकता।
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