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बरेली में भाजपा नेता के जन सेवा केंद्र पर मिलिट्री इंटेलिजेंस की रेड, फर्जी आधार, मार्कशीट, ड्राइविंग लाइसेंस और सरकारी दस्तावेज बनाने का खुलासा; हाईटेक उपकरण और रेट लिस्ट भी मिली

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24 News Update बरेली | बरेली के सीबीगंज क्षेत्र में मिलिट्री इंटेलिजेंस और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। गुरुवार को महेशपुर गांव स्थित एक जन सेवा केंद्र (CSC) पर छापा मारकर फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, विभिन्न विश्वविद्यालयों की मार्कशीट और अन्य सरकारी दस्तावेज बरामद किए गए। इस सेंटर का संचालन भाजपा के सीबीगंज मीडिया प्रभारी मुकेश देवल द्वारा किया जा रहा था, जो छापेमारी से ठीक 15 मिनट पहले अपनी कार में बैठकर फरार हो गया। उसकी तलाश CCTV फुटेज के आधार पर की जा रही है। रेड के दौरान टीम को दो लैपटॉप, दो हाईटेक प्रिंटर, फिंगरप्रिंट और आई स्कैनर, वेब कैमरा, सरकारी मुहरें, रबर स्टैम्प, रेट लिस्ट और नकली दस्तावेजों के फॉर्मेट मिले। साथ ही, 27 फर्जी आधार कार्ड, एक फर्जी पैन कार्ड, वोटर आईडी और नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे की नकली पहचान पत्र कॉपी भी बरामद हुई। इस कार्रवाई को मिलिट्री इंटेलिजेंस (लखनऊ-बरेली यूनिट), एसओजी, और सीबीगंज थाना पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। कार्रवाई में एसओजी प्रभारी देवेंद्र सिंह धामा, थाना प्रभारी (अपराध) सुभाष कुमार, उप निरीक्षक रविंद्र सिंह और निखिल कुमार, सहित कई पुलिसकर्मी शामिल रहे।
दस्तावेजों के लिए तय रेट लिस्ट
पुलिस जांच में सामने आया है कि मुकेश देवल दस्तावेज तैयार करने की निश्चित दरें वसूलता था। फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस: ₹1,000 फर्जी आधार/आयुष्मान कार्ड: ₹1,500 से 2,000 फर्जी मार्कशीट: ₹5,000 से ₹10,000 स्थानीय लोगों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह फर्जीवाड़ा पिछले 5 वर्षों से चल रहा था। देवल लोगों को खुलेआम कहता था— “पैसे दो, जो चाहे बनवा लो।” आशंका है कि इस नेटवर्क के जरिए हजारों फर्जी दस्तावेज बनाए जा चुके हैं, जिनका उपयोग फर्जी सिम कार्ड, बैंक खाते, सरकारी योजनाओं में धोखाधड़ी या अन्य आपराधिक गतिविधियों में किया जा सकता है।
भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें, राजनीतिक रसूख पर भी सवाल
मीडिया के पास मौजूद तस्वीरों में मुकेश देवल को राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार और क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजेय सिंह शाक्य के साथ देखा जा सकता है। इससे उसकी राजनीतिक पहुँच और संरक्षण की भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां यह भी जांच कर रही हैं कि क्या इन फर्जी दस्तावेजों का उपयोग देशविरोधी गतिविधियों, आतंकी नेटवर्क, फर्जी सिम, या बैंक धोखाधड़ी में तो नहीं हुआ है।

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