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बसपा में फिर मायावती का ‘‘आकाश आनंद’’

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24 News update लखनऊ।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में एक बार फिर से मायावती के भतीजे आकाश आनंद की वापसी हो गई है। पार्टी से निष्कासन के 41 दिन बाद रविवार को मायावती ने आकाश को माफ करते हुए बसपा में पुनः शामिल कर लिया, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अब किसी को भी उत्तराधिकारी नहीं बनाया जाएगा। मायावती ने कहा, “जब तक मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं, पार्टी की जिम्मेदारियों को खुद ही निभाऊंगी।”

आकाश आनंद, जो बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक और घोषित उत्तराधिकारी रह चुके हैं, को 3 मार्च को पार्टी से निकाल दिया गया था। तब मायावती ने उनके राजनीतिक व्यवहार और उनके ससुर डॉ. अशोक सिद्धार्थ की पार्टी विरोधी गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया था। अब पुनः एंट्री मिलने के बावजूद आकाश को कोई पद नहीं दिया गया है।

मायावती का स्पष्ट रुख

मायावती ने प्रेस बयान में कहा, “आकाश आनंद को एक और मौका देने का निर्णय लिया गया है, लेकिन मैं फिर दोहराती हूं कि मेरे रहते किसी को भी पार्टी का उत्तराधिकारी नहीं बनाया जाएगा।” उन्होंने दो टूक कहा कि आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ की पार्टी विरोधी गतिविधियां माफ करने योग्य नहीं हैं और उन्हें वापस लेने का कोई प्रश्न नहीं उठता।

सियासी संकेत और रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आकाश की वापसी एक सोच-समझी रणनीति का हिस्सा है। निष्कासन के बाद भी आकाश लगातार मायावती के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट्स का समर्थन करते रहे। माना जा रहा है कि बसपा अब आकाश के जरिए युवा दलित वोटर्स को साधना चाहती है, खासतौर पर चंद्रशेखर आज़ाद और सपा जैसी पार्टियों से मिल रही चुनौती के मद्देनज़र।

आकाश का माफीनामा और संकल्प

वापसी से ठीक पहले आकाश ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा, “मैं मायावती जी को अपना एकमात्र राजनीतिक गुरु मानता हूं। भविष्य में अपने किसी भी निर्णय में किसी रिश्तेदार या सलाहकार की राय नहीं लूंगा। बसपा सुप्रीमो के निर्देश ही मेरे लिए सर्वोपरि होंगे।”

बसपा में अंदरूनी उठा-पटक

बसपा ने पिछले साल अपने अंदर कई बड़े बदलाव किए। आकाश आनंद को दो बार उत्तराधिकारी घोषित किया गया और दोनों बार हटाया गया। उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को फरवरी में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। पार्टी नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता और गुटबाजी से जोड़ा।

संकट में बसपा, आकाश से उम्मीद

2007 में 206 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बसपा अब यूपी विधानसभा में सिर्फ एक सीट पर सिमट चुकी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। ऐसे में आकाश को वापस लेना एक कोशिश हो सकती है पार्टी को नए सिरे से धार देने की। हालांकि, मायावती ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आकाश को केवल एक कार्यकर्ता के रूप में लिया गया है, न कि किसी वारिस के रूप में।

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