
- डॉ. कमलेश शर्मा
24 News Update जयपुर,29 जुलाई। नैसर्गिक सौंदर्यश्री से लकदक समृद्ध जैव विविधता वाली राजस्थान की धरती ने एक बार फिर जैव विविधता की दृष्टि से नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हाल ही में उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के ब्राह्मणों का खेरवाड़ा गांव में एक दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई देखी गई है, जिसे वैज्ञानिक समुदाय में रायोथेमिस ट्रायन्गुलेरिस (Rhyothemis triangularis) के नाम से जाना जाता है। इस दुर्लभ प्रजाति की ड्रैगनफ्लाई की पहचान उदयपुर के सेवानिवृत्त वन अधिकारी और ख्यातिप्राप्त पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश कुमार शर्मा और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के पर्यावरणविद डॉ. अनिल सरसावन, मनोहर पवार एवं विनोद पालीवाल ने की है।
राजस्थान में पहली उपस्थिति :
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि यह ड्रैगनफ्लाई आधे नीले और आधे सफेद रंग के पंख, तथा नीली-काली आभा वाला पेट, धड़ और टांगों से पहचानी जाती है। पंखों की इस खास नीलिमा के चलते इसे आमतौर पर “लेसर ब्ल्यू-विंग” कहा जाता है। उन्होंने बताया कि यह ड्रैगनफ्लाई राजस्थान में पहली बार दर्ज की गई है। अब तक यह प्रजाति भारत के केवल 7 राज्यों (असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल) में ही पाई जाती थी। अब राजस्थान भी इस सूची में शामिल हो गया है।
शोध पत्र भी प्रकाशित:
मेवाड़ अंचल में इस ड्रैगनफ्लाई की पहली उपस्थिति पर आधारित विस्तृत शोध-पत्र प्रतिष्ठित शोध-पत्रिका “जर्नल ऑफ थ्रेटन्ड टैक्सा” के जून 2025 (वॉल्यूम 17, अंक 6) में प्रकाशित हुआ है, जो इस खोज को वैज्ञानिक स्वीकृति भी प्रदान करता है।
प्रकृति प्रेमियों के लिए संदेश:
यह खोज न केवल राजस्थान की जैव विविधता को वैश्विक नक्शे पर नया स्थान दिलाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जंगल, गांव और पारिस्थितिकी तंत्र आज भी अनमोल और अद्भुत जीवन रूपों के संरक्षण स्थल बने हुए हैं।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.