
24 News Update उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग द्वारा क्षमावाणी पर्व व विश्व मैत्री दिवस के पावन अवसर पर प्रभावशाली व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का संरक्षकत्व कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा एवं अध्यक्षता अधिष्ठाता प्रो. एम.एस. राठौर ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. जे.आर. भट्टाचार्य (कोलकाता) ने क्षमा शब्द की गहराई से व्याख्या करते हुए बताया कि क्षमा व्यक्ति के जीवन का आधार और स्वभाव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्षमा का संबंध केवल बाह्य नहीं, बल्कि अंतरात्मा से भी जुड़ा है और यह दर्शन एवं आचार का अभिन्न अंग है।
प्रो. भट्टाचार्य ने कहा कि जैन आगमों में क्षमा साधु का चलता-फिरता जीवन माना गया है। उन्होंने विशेष रूप से यह बात कही कि श्रावक समाज भी क्षमावाणी को अपना सकता है, बशर्ते वह पहले विकृतियों से मुक्त हो। मिच्छामि दुक्कडं के स्थान पर समिच्छामि दुक्कडं शब्द का प्रयोग करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
अधिष्ठाता प्रो. एम.एस. राठौर ने अपने वक्तव्य में कहा कि भगवान महावीर की क्षमा अद्वितीय और व्यापक है। जैन समाज की नींव क्षमा और धैर्य पर आधारित है। उन्होंने बताया कि मौन साधना, क्षमा और धीरता मानव के सर्वोत्तम आभूषण हैं। प्रेम, सौहार्द और भाईचारा, क्षमा के प्रत्यक्ष पर्याय हैं।
मुख्य अतिथि प्रो. प्रेम सुमन जैन ने कहा कि क्षमाशील बनने के लिए सरलता, मृदुता और विनय जैसे गुणों का पालन जरूरी है। क्षमा और यतना का गहरा सम्बन्ध है, इसलिए क्षमा के कार्य में यतना का भी उपयोग अनिवार्य है। प्रभारी अध्यक्ष डॉ. सुमत कुमार जैन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए क्षमा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि क्षमा मांगना सरल है, लेकिन क्षमा करना कठिन कार्य है। जैन दर्शन की शिक्षा है कि क्षमा नर को नारायण की ओर ले जाती है। हमें भूलों को भुलाकर एक-दूसरे के अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए ताकि विश्व में सच्ची शांति स्थापित हो सके।
कार्यक्रम का सफल संचालन श्री धरणेन्द्र जैन ने किया। अंत में डॉ. ज्योतिबाबू ने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और समाज जनों का आभार व्यक्त किया। विभाग प्रभारी डॉ. सुमत कुमार जैन ने कार्यक्रम को सामूहिक क्षमापना के साथ संपन्न किया। कार्यक्रम में डॉ. सतीशचंद अग्रवाल, डॉ. सुरेश सालवी, डॉ. सत्यनारायण शर्मा, डॉ. पुष्पा कोठारी, रेखा वडाला सहित अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी विद्यार्थी, गणमान्य श्रेष्ठजन और समाज के अन्य नागरिक उपस्थित रहे। इस आयोजन ने क्षमा, मैत्री और मानवता के संदेश को व्यापक रूप से साझा किया।
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