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100 वर्ष की संघ यात्रा में स्वयंसेवकों के त्याग व समर्पण पर व्याख्यान आज महिला सम्मान व सुरक्षा के लिए जीवन समर्पित करने वाले सुन्दर लाल की स्मृति में प्रथम व्याख्यान

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24 News Update राजसमन्द। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने सो वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। शताब्दी की यात्रा में संघ ने सेवा, संगठन व जनजागरण के कार्य के साथ संघर्ष का सामना भी किया है। जिसमें अनेक ऐतिहासिक कार्यों के साथ स्वयंसेवकों के त्याग, समर्पण और संघर्ष की अद्भुत गाथाएं भी सम्मिलित है। 

संघ की शताब्दी वर्ष के अवसर पर विचार-संवाद के प्रवाह के लिए वार्षिक सुन्दर स्मृति व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया जा रहा है।

सुन्दर स्मृति व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्प के अंतर्गत स्वयंसेवकों की कर्ममयी यात्रा पर ‘त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटियम्’ विषयक व्याख्यान का आयोजन रविवार अपरान्ह को जिला परिषद सभागार राजसमन्द में होगा।

वार्षिक व्याख्यान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण के अखिल भारतीय विधि प्रमुख एवं वरिष्ठ प्रचारक राम प्रसाद मुख्य वक्ता के रूप में विषय का प्रतिपादन करेंगे। वे संघ की सौ वर्ष की कार्ययात्रा का विस्तृत विवेचन करेंगे और बताएंगे कि कैसे प्रतिबंधों, विरोधों और अनेक बार सीधे हुए हमलों के बाद भी स्वयंसेवकों ने समाज जागरण व संगठन के कार्य को निरंतर गतिशील बनाए रखा। स्वतंत्रता संग्राम, आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा, राम मंदिर आंदोलन, स्वदेशी जागरण, गौसंरक्षण, ग्राम विकास, जनजाति कल्याण, सामाजिक समरसता और महिला सम्मान की दिशा में संघ की यात्रा किन-किन पड़ावों से होकर गुज़री, इसका परिचय इस व्याख्यान में मिलेगा।

लोकतंत्र सेनानी व महिला सम्मान के समर्थक सुन्दर लाल की स्मृति में आयोजन- 

यह वार्षिक व्याख्यानमाला का शुभारंभ संघ के संघनिष्ठ स्वयंसेवक सुन्दर लाल पालीवाल की स्मृति में किया जा रहा है। धोईंदा के निवासी सुन्दर लाल का जीवन समाज के प्रति समर्पण का आदर्श उदाहरण है। 

छात्र जीवन से ही वे संघ से जुड़े और उदयपुर में बड़गांव मंडल कार्यवाह के रूप में दायित्व रहा। आपातकाल के दौरान जब लोकतंत्र पर संकट आया तो वे संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में खड़े हुए और जेल यात्रा भी की। लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के प्रयासों में उन्होंने उदयपुर से “चिंगारी” नामक पत्रक के प्रकाशन में सहयोगी होकर समाज में लोकतांत्रिक चेतना जगाने का कार्य किया।

सिंचाई विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद पर चयनित होने के बाद भी उनका सामाजिक जीवन और संघ कार्यों में सक्रियता रही। 6 अगस्त 1989 में धरियावद क्षेत्र के पारसोला में जनजाति लड़की के अपहरण की घटना पर समाज में चेतना जगाई। अपहरण की घटना के बाद जब समाज ने न्याय की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया तो राजनीतिक द्वेष के चलते सुन्दरलाल को लक्षित कर पुलिस ने उन पर गोली चला दी। गोली उनके रीढ़ की हड्डी में लगी,  कि कमर से नीचे का हिस्सा जीवनभर के लिए निष्क्रिय हो गया। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। व्हीलचेयर पर रहते हुए भी निरंतर सामाजिक कार्य करते रहे। महिला सम्मान, लोकतंत्र रक्षा, सामाजिक जागरण और संघ के संगठन कार्यों में उनकी सक्रियता जीवन की अंतिम सांस तक बनी रही। 

आयोजन में राजसमन्द के साथ-साथ उदयपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, बीकानेर सहित विभिन्न जिलों से सुन्दर लाल के मित्रगण शामिल होंगे और अपने संस्मरण भी साझा करेंगे। साथ ही राजसमन्द जिले के अकादमिक, विधिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, संचार माध्यमों व सामाजिक कार्यों से जुड़े प्रमुखजन भी सहभागिता करेंगे।

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