24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने सत्संग में बताया कि आलस आत्मा को मोक्ष में नहीं जाने देता है। धर्म को धारण करना चाहिए यह पापी को भी तैरा देता है ।
संत ने कहा कर्म ऐसे करें कि यह जीवन ही नहीं भव- भव सुधर जाएं । अपनी चीज किसी के काम आ जाए यह भी धर्म है दूसरों की चीज ठग या छल से प्राप्त कर लेना घोर पाप है धर्म ध्यान में आगे बढऩे के लिए सहारा चाहिए । संत ने कहा अपनी भाषा में मिठास (चाशनी)लपेटकर देने की कोशिश करनी चाहिए वाणी की दरिद्रता ना दे दो इंच की जीभ में हड्डी नहीं होती मगर लडख़डा़ गई तो हड्डियां चकनाचूर कर देती है । सत्य बोले मगर ऐसा कभी सत्य ना करें जिससे किसी का नुकसान हो जाए । संत ने कहा हमें आगे बढऩे के लिए स्वयं की बुद्धि और विवेक से काम करना होगा दूसरे हमें सिर्फ सलाह दे सकते हैं । इस दुनिया में केवल आप ही अपनी तकदीर बदल सकते हैं, व चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं । अपने जीवन को सुखी और आनंदमय बनाना और समस्या का समाधान ढूंढना स्वयं कर सकते हैं । जब तुम स्वयं में संतुष्ट हो जाते हो तब तुम्हें किसी और की जरूरत नहीं होती जब दूसरे की इच्छा ही वाष्पिक हो जाती है एक जागृत व्यक्ति भी दूसरों की तलाश करता है जैसे ही एक अज्ञानी व्यक्ति करता है लेकिन दोनों के बीच एक गुणात्मक अंतर है । अज्ञानी व्यक्ति दूसरे की तलाश करता है क्योंकि उसे उसने भीतर एक नकारात्मक शून्यता महसूस होती है । अकेले छोड़ दिया जाए तो उसे एकांत नहीं, बल्कि अकेलापन महसूस होता है ,इसलिए अपने भीतर ध्यान अवस्था से परमात्मा को ढूंढना चाहिए । प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद रामकृष्ण वाड़ेल परिवार का रहा सत्संग में बंसीलाल दर्जी, विष्णु भावसार, संपतलाल , सुरेंद्र शर्मा,कड़ुव, मोती ,गंमीरी परमार, पुष्पा, भानु सेवक ,नानी डामोर ,मणी रोत सहित रामस्नेही भक्तजन उपस्थित रहे।
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