24 News Update उदयपुर। चार श्रम कोड को लागू किए जाने के खिलाफ उदयपुर में श्रमिक संगठनों ने बुधवार को जिला कलेक्ट्री पर जोरदार प्रदर्शन किया। अलग-अलग मजदूर और किसान संगठनों के बैनर तले जुटे वक्ताओं ने आरोप लगाया कि “सरकार ने मजदूरों के हकों को कानूनी तौर पर खत्म करने की दिशा में सबसे खतरनाक कदम उठाया है।” संगठनों ने कहा कि जिस तरह किसानों ने काले कृषि कानूनों को वापस करवाया, अब मजदूरों का संगठित आंदोलन सरकार को इन “काले श्रम कोडों” को भी वापस लेने पर मजबूर करेगा।
अंग्रेज भी मजदूरों की सुनते थे, लेकिन यह सरकार पूंजीपतियों की दासी बन गई”—श्रीमाली
इंटक के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व राज्य मंत्री जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि श्रम कोड मजदूरों के साथ धोखा है।
उन्होंने कटाक्ष किया— “अंग्रेजों ने भी मजदूरों को तोड़ने वाले कानून नहीं बनाए थे, लेकिन आज की सरकार मजदूरों की नहीं, पूंजीपतियों की चौकीदार बनकर खड़ी है।” श्रीमाली ने कहा कि सरकार एक तरफ रोजगार छीन रही है, दूसरी तरफ 12 घंटे काम करवाकर मजदूरों को “इंसान से मशीन” में बदलने की कोशिश कर रही है।
8 साल तक बैठक नहीं, बिना चर्चा कानून—सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से भाग रही है
ACTU के प्रदेशाध्यक्ष शंकरलाल चौधरी ने कहा कि सरकार श्रम संगठनों से बात करने से ही बचती रही।
उन्होंने कहा— “पिछले 8 सालों में एक भी बार केंद्र सरकार ने श्रमिक संगठनों के साथ औपचारिक चर्चा नहीं की। संसद में बिना बहस कानून लागू कर दिए गए—यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।”
अमृतकाल सिर्फ पूंजीपतियों को, जनता के हिस्से में जहर”—सीटू
सीटू जिलाध्यक्ष व पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस “अमृतकाल” की बात करते हैं, उसका अमृत सिर्फ कार्पोरेट घरानों तक पहुँचा है। उन्होंने कहा— जनता के हिस्से में जहर आया है… मजदूर-किसान दोनों तबाह हैं। मोदी सरकार में नीति भी खराब है और नियत भी।
100 से 300 मजदूर तक कारखाने को बंद करने की खुली छूट—पूर्व श्रम आयुक्त का आरोप
पूर्व संभागीय श्रम आयुक्त सुनील मित्तल ने बताया कि नए श्रम कोड के कारण— 300 मजदूर तक के उद्योग बिना अनुमति बंद हो सकेंगे, मजदूरों को 12 घंटे तक काम कराया जा सकेगा, यूनियन गठन और हड़ताल पर कठोर रोक लगाई गई है, निरीक्षण व्यवस्था कमजोर कर दी गई है। उन्होंने कहा— “यह कोड मजदूरों के अधिकारों की हत्या है।”
“मोदी 18 घंटे मेकअप और फोटोशूट में लगाते हैं”—मजदूर संगठनों का कटाक्ष
महिला संगठन, किसान संगठनों और यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार मजदूरों को 12 घंटे काम करने का तर्क देती है, लेकिन मंत्री-विधायक क्या काम करते हैं, इसका भी ऑडिट होना चाहिए।
एटीसी की नेता नीला शर्मा ने व्यंग्य में कहा—मोदी 18 घंटे काम नहीं करते—12 घंटे मेकअप और बाकी क 6 घंटे फोटो खिंचाने में लगते हैं।
लोकसभा-विधानसभा में भी 50% सदस्यता नियम लागू करो—इंदूशेखर व्यास
इंटक के नेता इंदूशेखर व्यास ने कहा कि सरकार यूनियन मान्यता के लिए 50% सदस्यता अनिवार्य कर रही है, लेकिन—
“अगर यही नियम लोकसभा-विधानसभा पर लागू हो जाए, तो आधे सांसद खुद ही अयोग्य हो जाएंगे।”
किसान संगठनों का भी समर्थन—“MSP व वनाधिकार कानून पर सरकार वादाखिलाफी कर रही है”
अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव प्रभुलाल भगोरा ने कहा कि— MSP पर कानूनी गारंटी नहीं मिली, आय दोगुनी करने का वादा झूठ निकला, वनाधिकार कानून लागू होने के बावजूद आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने कहा— “किसान-मजदूर एकता ही सरकार को झुकाएगी।”
रैली और ज्ञापन
टाउनहॉल से निकली रैली बापूबाजार, देहली गेट होते हुए कलेक्ट्री पहुँची, जहां मजदूरों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद समन्वय समिति के संयोजक पी.एस. खींची के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने उपखंड अधिकारी (गिर्वा) को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में प्रमुख मांगें—
चारों श्रम कोड वापस लिए जाएं
MSP को कानूनी गारंटी मिले
वनाधिकार कानून में बदलाव रोके जाएं
ठेका प्रथा खत्म कर नियमित नियुक्ति
न्यूनतम मासिक मजदूरी ₹26,000
ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल

