24 News Update जयपुर। जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री महेश जोशी को सात माह बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने बुधवार को सुनाए आदेश में कहा कि ट्रायल शुरू होने में देरी को देखते हुए जोशी को नियमित जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
जोशी को ईडी ने 24 अप्रैल 2025 को 900 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया था। इससे पहले 30 अक्टूबर 2024 को दर्ज एफआईआर में उनका नाम 18 बार उल्लेखित था। राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी।
जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और विवेक जैन ने तर्क दिया कि— जोशी पिछले सात माह से जेल में हैं जबकि ट्रायल की शुरुआत भी नहीं हुई है। ईडी की केस डायरी और प्रस्तुत रिकॉर्ड रिश्वत लेने के आरोपों को पुष्ट नहीं करते। ईडी का दावा है कि जोशी ने अपने बेटे की फर्म को लोन के नाम पर 55 लाख रुपए लिए थे, जबकि यह पूरा पैसा फर्म को वापस कर दिया गया है।
यदि यह रिश्वत की राशि होती, तो इसे वापस क्यों किया जाता?
वकीलों ने कहा कि यह लेनदेन “रिश्वत” नहीं बल्कि वाणिज्यिक व्यवहार था, जिसे बाद में पूर्ण रूप से लौटाया गया। ऐसे में लंबी न्यायिक हिरासत उचित नहीं है।
ईडी ने किया था विरोध ईडी की ओर से जमानत का जोरदार विरोध किया गया। एजेंसी का कहना था— पैसा लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती। जोशी पर विभागीय टेंडरों में अनियमितता और लाभ के बदले भुगतान लेने के आरोप हैं। रिहा होने पर वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। एसीबी में दर्ज अन्य एफआईआर में भी उनकी भूमिका सामने आई है। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत देने का फैसला सुनाया।
व्यक्तिगत परिस्थितियाँ भी आईं चर्चा में
जोशी की पत्नी का निधन 28 अप्रैल को हुआ था। इस दौरान कोर्ट ने उन्हें चार दिन की राहत अवश्य दी, मगर इसके बाद उन्हें फिर judicial custody में भेज दिया गया।
अब आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महेश जोशी जल्द ही जयपुर सेंट्रल जेल से बाहर आ जाएंगे। ट्रायल की कार्यवाही नियमित रूप से निचली अदालत में जारी रहेगी। सात महीने की जेल, ट्रायल में देरी और 55 लाख की विवादित राशि—इन तीन बिंदुओं ने इस मामले में जमानत का रास्ता साफ किया है।
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