24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के पुनर्वास कॉलोनी विमलनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर के प्रागंण मे मंगलवार को खोडनिया परिवार के सानिध्य में श्री शांतिनाथ महार्चना आयोजित की गई।
महार्चना आर्यिका विकाम्या श्री माताजी आर्यिका विगुंजन श्री माताजी संसघ सानिध्य मे दिनेश खोडनिया परिवार द्वारा समाधिस्थ आर्यिका विचित्रा श्री माताजी की स्मृति मे आयोजित एक दिवसिय श्री शांतिनाथ महार्चना विधान प्रतिष्ठाचार्य पंडित विनोद उर्फ विरल पगारिया के तत्वावधान मे अनेक श्रद्धालुओं की उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ इस अवसर पर मंगलवार प्रातः शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा को पाण्डूक शिला पर विराजित कर प्रतिष्ठाचार्य पगारिया के मंत्रोच्चारण के साथ महाभिषेक किया गया साथ ही आर्यिका विकाम्या श्री माताजी के मंत्रोच्चारण के साथ विश्व शांति कामनार्थ प्रतिमा पर शांतिधारा की गयी। सकलीकरण , इन्द्र प्रतिष्ठा , मण्डप प्रतिष्ठा , अखण्ड दीप पंच मंगल कलश स्थापना के बाद नवदेवता पूजा की गयी। इस के पश्चात यजमान खोडनिया तथा उपस्थित श्रद्धालुओ द्वारा शांतिनाथ विधान मंडप पर 125 अष्ट द्रव्य श्रीफल युक्त अर्घ समर्पित किये गये व धर्मसभा का आयोजन हुआ जिसको को संबोधित करते हुए आर्यिका विकाम्या श्री माताजी ने कहा कि जीवन मे संयम को धारण करना श्रेष्ठ वृति है। अनन्त पुण्य का बंन्ध होने पर जीव को जैनेश्वरी दीक्षा प्राप्त होती है भूरी बा ने जीवन के अंतिम क्षण मे जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा ग्रहण कर विचित्रा श्री नाम प्राप्त कर यम सल्लेखना के साथ अपनी मनुष्य पर्याय को धन्य किया हम सभी जिनेन्द्र भगवान से यही प्रार्थना करते है कि हमारा भी जीवन का अन्त समाधिमरण से हो हमारी अन्तिम यात्रा विमान से निकले ताकि हमारा जीव निकट भव्य बनकर शिवपद को प्राप्त करे । कार्यक्रम के अन्त मे पंच परमेष्ठी भगवान की , शांतिनाथ भगवान की आरती उतारी गयी । इस अवसर पर सेठ महेश नोगमिया पुनर्वास कॉलोनी जैन समाज अध्यक्ष नरेन्द्र गलालिया , अश्विन बोबडा , सुमतिलाल सरिया , मनोज गलालिया , अशोक शाह , दिनेश जांगा , रमेश भगत , संजय सारगिया , निलेश संघवी , पूर्व न.पा.अध्यक्ष नरेन्द्र खोडनिया , ट्रस्टी संतोष खोडनिया , बदामीलाल खोडनिया , पूर्वक शाह , वीणा सेठ, साधना कोठारी , पूजा पगारिया , रागिनी गलालिया , उषा खोडनिया , अरुणा , निर्मला खोडनिया समेत अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।
पुण्य कर्म के उदय से जीवन मे मिलती है दीक्षा : आर्यिका विकाम्या श्री माताजी

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