24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग योगिन्द्र गिरी तलहट पर स्थित श्री प्रभुदास धाम रामद्वारा में दिव्य चातुर्मास के अंतर्गत रामकथा में रामस्नेही संप्रदाय मेडता के उत्तराधिकारी संत रामनिवास शास्त्री ने रामकथा अन्तर्गत हनुमान द्वारा सीता की खोज प्रसंग हनुमान के वापस लौटते समय मैनाक पर्वत पर विश्राम विषय मे राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम….प्रस्तृत किया।
शास्त्री ने कहा मंदोदरी की सुन्दरता होते हुए भी रावण द्वारा सीता हरण करना गरीब वह नही जिसके पास धन नही वरन धनवान होते हुए भी लोभ ,मोह और माया के बंधन मे फसा हो। जो खुद बडा नही बना सकते वो दूसरो को छोटा पाखंड से कर स्वयं को ऊपर और बडा बताने की कोशिश करते है। धन समाधान कम होता है और समस्या अधिक होती है। धन ज्यादा होने सुरक्षा हेतू पहरेदार और व्यवस्था की आवश्यकता होती है। संसार के सभी सुख तीनो लोक के मिलते फिर भी सत्संग की तुलना उन सुख से की गुना लाभप्रद है। तात स्वर्ग अपबर्ग सुख,धरिअ तुला एक अंग। तुल न ताहि सकंल मिली, जो सुख लव सत्संग। संत ने लंका मे प्रवेश करने पर लंकिनी सत्संग की महिमा सुनाकर हनुमान कर सहयोग करती है। संसार मे दिखाने को बहुत है वास्तविकता बहुत परे होती है जिसकी स्पर्धा असीमित है। रामायुध अंकित गृह सोभा बरनी जाए। नव तुलसिका बृन्द देखि हरषाई से हनुमान कहने लगे यहा धोखा नही होगा तब सोचा और कहा लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा।। उसे संत रूपी आना आत्मा से परिचय किया गया यह संयोग ही होता है। आजकल के प्रत्येक रूप बनावटी होने से वास्तविकता की पहचान नही हो पाती है पुराने जमाने मे वेश-भूषा से पहचान हो जाती थी। विभीषण से अपना परिचय के साथ उनका परिचय लिया जिससे पता दांतो के बीच जैसे जीभ रहते है वैसे हम लंका मे रहते है। हनुमान कहते पहले जीभ आती है फिर दांत आते है अंतिम मे भी जीभ रहती है। कथा के दौरात शास्त्री ने सत्संग करनी सत्संग री मेधा वरणी रे….आकाशवाणी भजन गायक कैलाश माकड ने कि मोहन आवो तो सही माधव रा मंदिर मे मीरा बाई एकली खडी..,। कथा में महाप्रसाद के यजमान सुगन्धलता-दिनेश शर्मा द्वारा पण्डित विनोद त्रिवेदी के मंत्रोच्चारण से पोथी- पूजन और आरती उतारी गई । कबीर पंथ की साध्वी भुवनेश्वरी, विशाखा दीदी और प्रभुदास धाम संत उदयराम व संत अमृतराम का सानिध्य विभिन्न वाद्ययंत्र लोके ठाकुर,कैलाश माकड,मंगश भाटी ने संगत दी। इस अवसर पर जयन्तिलाल राठौर,मुकेश कुमार भावसार,कमल शर्मा,राजेन्द्र शुक्ला,लालशंकर भावसार, विजयराम भावसार,मधुकर भावसार,कौशल्या -गोवर्धनलाल शर्मा,हेमन्त सोमपुरा,अनिता सुथार,माया-लोकेश भावसार, प्रसाद भावसार,मधुकान्ता आर्य, अशोक भट्ट, लक्ष्मीकांत भावसार विष्णु भावसार सहित नगर के कई समाजों के महिला पुरुष उपस्थित थे।
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