24 News Update जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर बेंच ने सचिवालय कर्मचारी संघ द्वारा संचालित सचिवालय कैंटीन मामले में बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए नई फर्म को दिए गए कार्यादेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने बीकानेर निवासी मेसर्स अंबरवाला फर्म, जिसके पार्टनर हरिओम पुरोहित हैं, की ओर से अधिवक्ता रमित पारीक द्वारा प्रस्तुत एसबी सिविल रिट याचिका संख्या 6544/2025 पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग के शासन सचिव तथा उप सचिव के साथ-साथ राजस्थान सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बुद्धिप्रकाश शर्मा को भी नोटिस जारी कर 30 मई 2025 तक जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि फर्म को 26 अगस्त 2019 को एक विधिसम्मत निविदा प्रक्रिया के जरिए पांच वर्षों के लिए सचिवालय कैंटीन संचालन की स्वीकृति दी गई थी, जिसकी अवधि अभी पूर्ण नहीं हुई है। बावजूद इसके सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने दिनांक 23 अप्रैल 2025 को परिसर खाली करने का नोटिस जारी किया और 28 अप्रैल को कैंटीन का ताला तोड़कर फर्म के कर्मचारियों के सचिवालय में प्रवेश पास रद्द करते हुए फर्म का सामान बाहर निकालकर नई अज्ञात फर्म को कैंटीन संचालन का कार्य सौंप दिया।
याची के अधिवक्ता पारीक ने न्यायालय में यह भी तर्क रखा कि यह पूरी प्रक्रिया न केवल आरटीपीपी अधिनियम का उल्लंघन है बल्कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पूर्व में आयोजित बैठकों दिनांक 11 जून 2018, 17 जुलाई 2018 और 11 अक्टूबर 2018 में लिए गए निर्णयों की भी अवहेलना है, जिनमें स्पष्ट रूप से ई-निविदा प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए गए थे। इसके अतिरिक्त 26 मार्च 2024 को कार्मिक विभाग के उप सचिव द्वारा भी सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष को निर्देशित किया गया था कि कैंटीन संचालन हेतु ई-टेंडर प्रक्रिया ही अपनाई जाए।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि संघ अध्यक्ष द्वारा ई-निविदा आमंत्रित किए बिना एक सीमित दायरे में बोलियां मंगाई गईं और राजस्थान स्टेटमेंट नामक अल्प प्रचारित समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित किया गया, जो कार्मिक विभाग के निर्देशों के अनुरूप नहीं था। वहीं, प्रतिवादी संघ के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में यह जानकारी दी गई कि विज्ञापन राजस्थान स्टेटमेंट में प्रकाशित किया गया था, लेकिन यह स्पष्ट करने में असफल रहे कि ई-निविदा की प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई। अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत देते हुए नई फर्म को दिए गए कार्यादेश पर रोक लगा दी है और तीन सप्ताह में समस्त दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
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