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हल्दीघाटी की धरा पर राष्ट्र चेतना यज्ञ के साथ होगा ‘हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु:शती समारोह’, महाराणा प्रताप की शौर्यगाथा को समर्पित वर्षभर चलेंगे आयोजन, 18 जून को होगा शुभारंभ

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24 News update उदयपुर, 15 जून। विश्व इतिहास में अद्वितीय वीरता और राष्ट्रनिष्ठा का प्रतीक हल्दीघाटी युद्ध इस वर्ष अपने 450वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर उदयपुर स्थित प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ में ‘हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु:शती समारोह’ वर्षभर मनाया जाएगा। इस समारोह की शुरुआत 18 जून को हल्दीघाटी की पावन धरा पर राष्ट्र चेतना यज्ञ के साथ होगी।

महाराणा प्रताप स्मारक स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञाहुतियां दी जाएंगी और राष्ट्र भक्ति की भावना के साथ प्रताप की शौर्यगाथा का स्मरण किया जाएगा।

गौरवशाली इतिहास की पुनर्रचना का संकल्प

समिति अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया कि यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक युद्ध की स्मृति है, बल्कि राष्ट्र के स्वाभिमान, स्वतंत्रता और मेवाड़ की आत्मगौरव परंपरा का उत्सव भी है। हल्दीघाटी विजय समारोह वर्षभर देशभर में उत्साह और राष्ट्रचेतना के साथ मनाया जाएगा।

कार्यकारिणी सदस्य चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने बताया कि मेवाड़ के गांव-गांव को इससे जोड़ा जाएगा। यह केवल इतिहास का पुनर्पाठ नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का प्रयास भी है।

विजय संदेश यात्रा और नगर स्वागत

18 जून को प्रातः 8 बजे हल्दीघाटी में राष्ट्र चेतना यज्ञ होगा। इसके बाद दोपहर 2 बजे विजय संदेश यात्रा हल्दीघाटी से प्रारंभ होकर उदयपुर शहर की प्रमुख सड़कों से होते हुए प्रताप गौरव केन्द्र पहुंचेगी। यात्रा मार्ग में जगह-जगह माटी और विजय ध्वज का पूजन व स्वागत होगा।

सहसंयोजक डॉ. मदन सिंह राठौड़ ने बताया कि इस यात्रा का समापन प्रताप गौरव केन्द्र परिसर में होगा, जहां हल्दीघाटी की माटी और विजय ध्वज को ससम्मान स्थापित किया जाएगा।

चित्रकला एवं प्राचीन लिपि कार्यशालाएं

समारोह के प्रथम सोपान (18-25 जून) के दौरान दो विशेष कार्यशालाएं भी होंगी:

प्रवेश शुल्क में विशेष छूट

प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि 18 से 25 जून तक प्रताप गौरव केन्द्र का प्रवेश शुल्क मात्र ₹50 रहेगा। शाम के वाटर लेजर शो — ‘मेवाड़ की शौर्यगाथा’ का शुल्क भी ₹50 रहेगा।

देशभर में संगोष्ठियां और प्रतियोगिताएं

सक्सेना ने बताया कि समारोह वर्षभर चलेगा। सभ्यता अध्ययन केन्द्र, नई दिल्ली के सहयोग से देशभर के हर राज्य और राजस्थान के प्रत्येक जिले में संगोष्ठियों का आयोजन होगा। विद्यालयों-महाविद्यालयों में चित्रकला, भाषण, रंगोली, आशुभाषण आदि प्रतियोगिताएं आयोजित कर युवाओं को प्रताप के आदर्शों से जोड़ा जाएगा।

इस समारोह का भव्य समापन 18 जून 2026 को होगा।

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