24 News Update जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी अपराध में बरी हो जाता है, तो उसे न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि का पूरा वेतन और समस्त परिलाभ दिए जाएंगे।
कांस्टेबल हरभजन सिंह का मामला
यह आदेश हाईकोर्ट ने कांस्टेबल हरभजन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। सिंह को रेप और एससी-एसटी एक्ट के मामले में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। जस्टिस आनंद शर्मा की एकलपीठ ने उनके करीब दो साल की जेल अवधि का वेतन और सभी परिलाभ देने के निर्देश दिए। साथ ही विभाग का यह आदेश भी रद्द कर दिया कि इस अवधि को अवैतनिक अवकाश माना जाए।
23 साल बाद मिलेगा बकाया वेतन
याचिकाकर्ता के एडवोकेट सुनील समदड़िया ने अदालत को बताया कि कॉन्स्टेबल को 21 अगस्त 2000 को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था। बाद में ट्रायल कोर्ट ने 1 अगस्त 2002 को उसे बरी कर दिया। विभाग ने 11 सितम्बर 2002 को निलंबन रद्द किया, लेकिन 21 अगस्त 2000 से 1 अगस्त 2002 तक की अवधि को अनुपस्थित मानकर अवैतनिक अवकाश घोषित कर दिया। इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के इस आदेश से यह साफ हो गया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अदालत से दोषमुक्त पाया जाता है, तो उसे न्यायिक अभिरक्षा में बिताए गए समय का आर्थिक और सेवा संबंधी अधिकार मिलना सुनिश्चित होगा।
अपराध से बरी सरकारी कर्मचारी को जेल अवधि का मिलेगा वेतन और परिलाभ: राजस्थान हाईकोर्ट

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