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भगवान अनंत हैं, उनकी कृपा भी अनंत है-संत तिलकराम महाराज

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थत कान्हडदास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम के सानिध्य में शारदीय नवरात्रि पर अखंड राम- जप कार्यक्रम में संत ने बताया कि भगवान अनंत है उनकी कृपा भी अनंत है इसलिए कालरात्रि यह नाम स्वयं परम समार्थ्य का उद्घोष है रात्रि का अर्थ है- अज्ञान व काल का अर्थ है- वह परम सत्य जो समय और मृत्यु दोनों को भी ली लील लेता है ।
संत ने कहा साधारण दृष्टि से उनका रूप भयानक प्रतीत होता है यह रौद्रता केवल एक ही कार्य करती है अविद्या का संहार और आत्माविद्या का प्रादुर्भाव जब समस्त सृष्टि संहार में लीन हो जाती है देवता और शक्तियां भी मौन हो जाते हैं तब भी एक तत्व शेष रहता है- ब्रह्मस्वरूपिणी शक्ति और शिव वही महाशून्य अदृत का परम साक्षात्कार है । मां कालरात्रि उसी महासंहार की चेतना है । शारदीय नवरात्रि आराधना का पर्व है । यह उपासना केवल कर्मकांड नहीं बल्कि आत्मा को ब्रह्म की और अग्रसर करने वाली साधना का रूप है । ब्रह्म एकमात्र सत्य ,नित्य, अखंड और सर्वव्यापक चैतन्य सत्ता है मां उसी परम चैतन्यस्वरूपा की प्रत्यक्ष मूर्ति है । साधक के भीतर जब तप, संयम और वैराग्य का प्रकाश जागृत होता है, तब अविद्या का अंधकार नष्ट होकर ब्रह्म का तेज प्रकट होता है । संत ने कहा ज्ञान और चरित्र के विकास से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है । ज्ञान और चरित्र का विकास ही मोक्ष प्राप्ति का साधन है । किसी के पास ज्यादा शक्ति हो पैसे हो, बड़ा पद या ज्ञान हो उसका उपयोग अच्छे कार्यों में होना चाहिए । बिना अभ्यास के आत्मा अपने स्वरूप को नहीं पहचान सकती और बिना ध्यान के सिदॢालय की प्राप्ति असंभव है । मनुष्य अनंत सुख का लालायित है, परंतु विभाव की दिशा में प्रयत्नशील होकर गलत मार्ग पर चल रहा है । आत्मा का स्वभाव ऊर्ध्वगामी और मोक्षगामी है जबकि देह का स्वभाव पतनशील है । ध्यान ही वह क्रिया है जिसके द्वारा आत्मा स्वयं को जान सकती है स्वयं को जान लेने पर जीवन की सभी समस्याओं का समाधान संभव है । प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया कि दिनांक 3 अक्टूबर शुक्रवार को चातुर्मास कर रहे संत तिलकराम महाराज के सानिध्य में चतुर्मास समापन का पर्व प्रातः 10ः30 बजे रहेगा । सभी समाज द्वारा महाराज श्री का बहुमान किया जाएगा। मंगलवार को जानकी वल्लभ भक्त- मंडल सेवक समाज द्वारा रामायण मनका 1008 पाठ संत के सानिध्य में किया गया । जिसमें समिति अध्यक्ष सुधीर वाडेल ,लोकेश भावसार, नाथू परमार, कचरा परमार ,विष्णु भावसार, बाबूलाल सेवक , हेमलता सेवक, वंदना ,मीना , संध्या, भावना ,शकुंतला ,लता, भानुमति ,चांदनी ,लक्ष्मी,विद्यादेवी सेवक सहित अन्य महिलाएं उपस्थित रही । संत प्रसाद विनोद भट्ट परिवार का रहा राम नाम -जप में रामस्नेही नटवरलाल सुथार, बालमुकुंद शर्मा ,जिग्नेश भावसार ,सुरेश ठाकुर, गूणमाला शर्मा ,जोशना शर्मा ,विमला ठाकुर ,हंसी परमार सहित रामस्नेही श्रृंद्धालु उपस्थित रहे।

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