24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। “महिला की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं है। उसके जन्म से मृत्यु तक उसकी पहचान किसी न किसी पुरुष से जुड़ी होती है। यह कैसी दुनिया है? महिला तब स्वतंत्र मानी जाएगी, जब उसे अपने जीवन के सभी निर्णय लेने का अधिकार होगा।” ये तीखे विचार प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कुसुम मेघवाल ने व्यक्त किए। अवसर था अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति एवं भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) के संयुक्त तत्वावधान में हाथीपोल चौराहे पर आयोजित संगोष्ठी का, जिसका विषय था— “महिला की पहचान और आधी दुनिया”।
डॉ. मेघवाल ने कहा कि समाज में महिला स्वतंत्रता की बातें तो बहुत की जाती हैं, लेकिन आज भी महिलाएं अपने शरीर और जीवन पर पूर्ण अधिकार से वंचित हैं। नारी मुक्ति का अर्थ पुरुष से नहीं, बल्कि पुरुष-प्रधान मानसिकता से मुक्ति है। जब तक महिलाएं स्वयं अपने अस्तित्व और अधिकारों को नहीं पहचानेंगी, तब तक समानता का सपना अधूरा रहेगा।
सीटू के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि महिलाओं को गुलामी से मुक्ति और समानता का अधिकार पाने के लिए वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण अपनाना होगा। धर्म, जाति, परंपराएं और रूढ़ियाँ महिलाओं को सदियों से जकड़ती आई हैं। मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में महिलाओं को मात्र एक वस्तु के रूप में देखा जाता है, जबकि वास्तविक स्वतंत्रता केवल समाजवादी व्यवस्था में संभव है।

“सम्मान का अधिकार आज भी अधूरा”
ब्यूटीशियन अशोक पालीवाल ने कहा, “जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वह स्वर्ग के समान होता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाओं को उनका उचित सम्मान अभी तक नहीं मिला है। उन्हें समान अधिकार दिलाने के लिए महिलाओं को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।”
महिला समिति की सचिव एवं पूर्व पार्षद गणपति देवी सालवी ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा, “हमें देवी का दर्जा नहीं चाहिए, हमें तो बस इंसान मानकर बराबरी का दर्जा दे दीजिए।” उन्होंने बताया कि मानवीय जीवन के लिए 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम और 8 घंटे सामाजिक व पारिवारिक जीवन का संतुलन आवश्यक माना गया है, लेकिन महिलाएं 14-18 घंटे तक काम करती हैं। इसके बावजूद उनसे पूछा जाता है— “तुम करती ही क्या हो?”
“समानता की लड़ाई पुरुषों के खिलाफ नहीं, बल्कि एक सभ्य समाज के लिए है”
नेशनल हॉकर्स फेडरेशन के राज्य संयोजक याकूब मोहम्मद ने कहा कि महिलाओं की समानता की लड़ाई पुरुषों के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समाज के सभ्य निर्माण के लिए है। ठेला व्यवसायी मजदूर एकता यूनियन के अध्यक्ष मोहम्मद निजाम ने बताया कि महिलाओं के श्रम का सही मूल्यांकन किया जाए तो यह स्पष्ट होगा कि दुनिया की सबसे बड़ी ठगी महिलाओं के श्रम के साथ हुई है।
जनवादी महिला समिति की सचिव रानी माली ने कहा कि महिलाओं की योग्यता पर संदेह करना और उनकी क्षमताओं पर प्रश्न उठाना उन्हें पहचान के संकट में डालने का सबसे बड़ा षड्यंत्र है। बावजूद इसके, महिलाएं हर चुनौती को पार कर आगे बढ़ रही हैं। हाथीपोल ठेला व्यवसायी मजदूर यूनियन की अध्यक्ष तुलसी देवी ने कहा कि समाज में मुनाफे के कार्य पुरुषों से जोड़े जाते हैं, जबकि अलाभकारी कार्य महिलाओं के हिस्से में आते हैं। राजनीति को महिलाओं से जोड़कर नहीं देखा जाता, जबकि राजनीति ही उनके अधिकारों और जीवन स्तर को निर्धारित करती है।
निर्माण मजदूर एकता यूनियन के अध्यक्ष शमशेर खान ने कहा कि सीटू की राष्ट्रीय अध्यक्ष के. हेमलता हैं, जो यह दर्शाता है कि पुरुष-प्रधान समाज में भी महिलाओं का सशक्त नेतृत्व संभव है।
गोष्ठी में मरियम बानो, जमना देवी, लक्ष्मीलाल कुमावत, अमजद शेख, मोहम्मद शाहिद, दिनेश पटेल सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में गाजियाबाद से आए मजदूर नेता उत्तम पाठक ने महिलाओं को समर्पित कविता प्रस्तुत कर संगोष्ठी को भावनात्मक ऊंचाई दी।
अंत में महिलाओं से समानता और न्याय आधारित समाज के निर्माण हेतु संघर्ष में सक्रिय भागीदारी करने की अपील की गई। संगोष्ठी के उपरांत महिलाओं के लिए खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया।
प्रमुख वक्ता और उनके विचार:
| वक्ता | विचार / बयान |
|---|---|
| डॉ. कुसुम मेघवाल | “महिलाएं तभी स्वतंत्र होंगी जब उनके जीवन के निर्णय लेने का अधिकार स्वयं उन्हें होगा।” |
| राजेश सिंघवी | “महिलाओं को समानता के अधिकार हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।” |
| अशोक पालीवाल | “जिस घर में महिला का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग के समान होता है।” |
| गणपति देवी सालवी | “हमें देवी का दर्जा नहीं चाहिए, हमें तो बस इंसान मान बराबरी का दर्जा दीजिए।” |
| याकूब मोहम्मद | “महिलाओं की समानता की लड़ाई पुरुषों के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समाज के सुधार के लिए है।” |
| मोहम्मद निजाम | “महिलाओं के श्रम की सही गणना की जाए तो यह सबसे बड़ी ठगी साबित होगी।” |
| रानी माली | “महिलाओं की क्षमताओं पर हमेशा संदेह किया जाता है, लेकिन वे हर चुनौती को पार कर रही हैं।” |
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