
24 News Udpate उदयपुर। राजस्थान के राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि “लेखा शिक्षा और अनुसंधान एक-दूसरे के पूरक हैं। अनुसंधान से प्राप्त नवीन ज्ञान को शिक्षा में समाहित करने से शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि होती है और यह राष्ट्र निर्माण का आधार बनता है।”
वे रविवार को भारतीय लेखांकन परिषद (आईएए) उदयपुर शाखा और राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय 47वें अखिल भारतीय लेखांकन सम्मेलन एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि “शिक्षा संस्थान केवल ज्ञान के केंद्र नहीं, बल्कि संस्कारों के मंदिर हैं जहाँ भावी पीढ़ी में कर्तव्यनिष्ठा, पारदर्शिता और मानवीय मूल्यों का बीजारोपण होता है।”
महामहिम ने कहा कि “समय की ऑडिट करना भी आवश्यक है। समय का सर्वोत्तम उपयोग ही सफलता का सबसे बड़ा लेखा बनता है।” उन्होंने युवाओं से कहा कि “अपने शब्दों और वाणी को अपनी सबसे बड़ी संपत्ति समझें — क्योंकि उनका प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होता है।”
कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राजकीय कोष एवं व्यय प्रणाली में पारदर्शिता, राष्ट्रहित और नैतिकता लेखांकन की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि “विचारों की परिपक्वता, सादगी और सत्य के प्रति साहस — ये तीन गुण मिलकर एक सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। लेखांकन में नीतियों और मानवीय मूल्यों का संतुलन ही आधुनिक भारत की पहचान बनेगा।”
राज्यपाल का स्वागत एनसीसी कैडेट्स ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर किया। समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती, संस्थापक मनीषी जनार्दनराय नागर एवं कवि राव मोहन सिंह की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
“वैदिक नीतियों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक भारत का उभरता लेखा दृष्टिकोण” — प्रो. सारंगदेवोत
स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने मेवाड़ की विभूतियों महाराणा प्रताप, मीराबाई, पन्ना धाय, भामाशाह और हाड़ी रानी को नमन करते हुए कहा कि इन महापुरुषों की त्याग और लोकसेवा की भावना आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने राज्यपाल बागडे की नीतियों को प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि नीति और धर्म-नीति का समन्वय समाज के समग्र विकास की दिशा तय करता है।
सारंगदेवोत ने बताया कि यह सम्मेलन वैदिक काल से लेकर आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता युग तक लेखांकन की विचारधारा, नीति और सामाजिक मूल्यों के संतुलन पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल लेखांकन तकनीकें भारत की आर्थिक संरचना को सुदृढ़ बना रही हैं और भारत को वैश्विक स्तर पर एक उभरती व्यवस्था के रूप में स्थापित कर रही हैं।”
“परिवर्तन की प्रतीक्षा नहीं, परिवर्तन की पहल बनें” — प्रो. गौरव वल्लभ
“नैतिकता, उत्तरदायित्व और दक्षता – लेखांकन का नया सूत्रपात”
मुख्य वक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने अपने उद्बोधन में कहा कि “लेखांकन को पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालना समय की मांग है। यदि इसमें तकनीकी नवाचार और नैतिक दृष्टि का समावेश नहीं किया गया तो यह विषय इतिहास बन जाएगा।”
उन्होंने अपने प्रसिद्ध “ट्रेन मॉडल” (Train Model) की व्याख्या करते हुए कहा कि यह मॉडल लेखांकन शिक्षा में रूपांतरण, नैतिक आचरण, उत्तरदायित्व और दक्षता के चार स्तंभों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि “नैतिकता और दक्षता के मेल से लेखांकन में नए युग का सूत्रपात होगा।”
प्रो. वल्लभ ने कहा — “परिवर्तन की प्रतीक्षा न करें, स्वयं परिवर्तन की पहल बनें। लेखांकन को राष्ट्र निर्माण की प्रेरक शक्ति बनाइए।”
“नीति निर्माण में लेखांकन बने प्रेरक शक्ति” — राज्य मंत्री प्रो. मंजू बाघमार
विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने कहा कि “विकसित भारत 2047 की संकल्पना को साकार करने के लिए लेखांकन को नीति निर्माण में मार्गदर्शक भूमिका निभानी होगी।” उन्होंने कहा कि लेखांकन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी नवाचारों के साथ भारतीय नैतिक मूल्यों का समन्वय आवश्यक है।
उन्होंने युवाओं से कहा कि “मौलिकता, नैतिकता और तकनीकी दक्षता अपनाकर वे न केवल अपने करियर को नई दिशा दें, बल्कि भारत की आर्थिक प्रगति में भी भागीदार बनें।”
अध्यक्षीय संबोधन और विमोचन समारोह
अध्यक्षीय संबोधन में आईएए अध्यक्ष एवं गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के कुलपति प्रो. के.एस. ठाकुर ने आईएए की भूमिका और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उच्च शिक्षा में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता बताई।
कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने स्वागत संबोधन में सम्मेलन के महत्व और लेखाक्षेत्र की भावी संभावनाओं पर विचार व्यक्त किए।
आईएए महासचिव प्रो. संजय भायाणी ने संगठन की स्थापना, उद्देश्यों और कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के दौरान डॉ. शूरवीर सिंह भानावत, सीए हेमंत और डॉ. दुर्गा सिंह द्वारा लिखित आयकर विषयक पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। यंग रिसर्च अवॉर्ड सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक एन को प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हीना खान और डॉ. हरीश चैबीसा ने किया, जबकि आभार प्रो. शूरवीर सिंह भानावत ने व्यक्त किया।
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