Site icon 24 News Update

जेल से इलाज के बहाने भाग निकले चार कैदी, होटलों में आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए, चार पुलिसकर्मियों सहित चार कैदी हिरासत में

Advertisements

24 News Update जयपुर. जयपुर सेंट्रल जेल के चार कैदियों—रफीक, भंवर, अंकित और करण—ने “बीमारी” बताकर जेल प्रशासन से मिलीभगत कर इलाज के लिए रिहाई पाई और अपने–अपने महिला मित्रों के साथ शहर के दो होटलों में लिप्त हो गए। वास्तविकता का खुलासा तब हुआ जब सीएसटी (क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन टीम) ने एयरपोर्ट और सिंधी कैंप थानाक्षेत्र में छापेमारी कर उन्हें आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया। इस पूरे मामले में चार पुलिसकर्मियों और जेल के एक डॉक्टर की संलिप्तता भी सामने आई है।


बीमारी के बहाने पर्ची कटवाई, एसएमएस अस्पताल पहुंचाए
शनिवार सुबह कैदियों ने जेल में उपलब्ध मेडिकल फैसिलिटी—STD वार्ड—का उपयोग करके डॉक्टर कैलाश से “एलर्जी” का इलाज-नामक फर्जी रिफरल प्राप्त किया। जेल अधीक्षक को सूचना मिलने के बाद पुलिस लाइन के गार्ड ने रफीक, भंवर, अंकित, करण और जोगेंद्र को एसएमएस अस्पताल पहुंचाया। जोगेंद्र को रिफरल पर्ची कटवाने के बाद वापस जेल भेज दिया गया, पर बाकी चार कैदी दो सिपाहियों के साथ होटल की ओर रुख कर गए।

पलभर में तैयार होटलों में रूम बुकिंग, महिला मित्रों से की मुलाकात
जांच में पता चला कि कैदियों ने जेल में ही अपने परिचितों के जरिए होटलों में रूम बुक करवा रखे थे। सिंधी कैंप थाना क्षेत्र के “बेलाकासा होटल” तथा एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के “लुमीर पैलेस” में उनकी महिला साथी पहले से मौजूद थी। पुलिस ने रेड कर चारों कैदियों के साथ दो हेड कांस्टेबल व दो सिपाहियों को थाने लाकर पूछताछ शुरू कर दी है। फरार कैदियों के मोबाइल कॉल रिकार्ड और जेल कर्मियों से मिली जानकारी के आधार पर पता चला कि डॉक्टर कैलाश ने बिना उचित मेडिकल जांच के रिफरल पर्ची जारी की। उसके बाद दो सिपाहियों ने कैदियों को अस्पताल से होटलों तक पहुंचाने में मदद की। जेल प्रशासन में व्याप्त व्यवस्थागत लापरवाही ने इस गिरोह को बेधड़क भागने का मौक़ा दिया।

पुलिस की तेज़ी से सक्रियता, आगे की जांच जारी
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने दोनों थानों में FIR दर्ज कर सीएसटी को मामले की तफ्तीश सौंपी है। SHO (एयरपोर्ट) मनोहर लाल एवं SHO (सिंधी कैंप) रीना वर्मा ने बताया कि अब तक चार कैदियों और चार पुलिसकर्मियों को हिरासत में लिया गया है, वहीं जेल के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य बंदियों-स्टाफ की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

Exit mobile version