24 न्यूज अपडेट, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में मंगलवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जब राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने कविनगर इलाके में संचालित एक फर्जी दूतावास पर छापेमारी कर एक हाई-प्रोफाइल जालसाज को गिरफ्तार किया। आरोपी हर्षवर्धन जैन खुद को ‘वेस्ट आर्कटिक’, ‘सबोरगा’, ‘पुलावाविया’ और ‘लोडोनिया’ जैसे काल्पनिक देशों का कॉन्सुल एंबेसडर बताता था। STF ने उसे उसके किराए के मकान से गिरफ्तार किया, जहां वह खुद को विदेशी राजनयिक साबित करने के लिए ‘एम्बेसी ऑफ वेस्ट आर्कटिक’ के नाम से फर्जी दूतावास चला रहा था।
छापेमारी के दौरान STF ने आरोपी के पास से ₹44.70 लाख नकद, 34 विभिन्न विदेशी कंपनियों व देशों की जाली मोहरें, विदेश मंत्रालय की फर्जी मुहर वाले दस्तावेज, 12 डिप्लोमेटिक पासपोर्ट, 2 फर्जी पैन कार्ड, 2 फर्जी प्रेस कार्ड, 18 वीआईपी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट और कई देशों की विदेशी मुद्रा जब्त की है। इसके अलावा चार लग्जरी गाड़ियाँ भी बरामद की गई हैं, जिन पर डिप्लोमेटिक झंडे और वीआईपी नंबर प्लेट लगी हुई थीं।
STF के एसएसपी सुशील घुले ने बताया कि आरोपी हर्षवर्धन देश-विदेश में नौकरी दिलाने, कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का फर्जी लाइसेंस दिलाने और हवाला कारोबार में संलिप्त था। वह खुद को अत्यधिक प्रभावशाली और अंतरराष्ट्रीय स्तर का राजनयिक दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और अन्य शीर्ष नेताओं के साथ मॉर्फ की गई तस्वीरों का इस्तेमाल करता था। कई बार वह डिप्लोमेटिक गाड़ियों से सरकारी कार्यक्रमों में भी घुसने की कोशिश करता था।
सूत्रों के अनुसार, आरोपी हर्षवर्धन ने लंदन से एमबीए की पढ़ाई की है और उसका पहले का आपराधिक रिकॉर्ड भी रहा है। वर्ष 2011 में वह दक्षिण अफ्रीका से भारत में सैटेलाइट फोन लेकर आया था और सुरक्षा एजेंसियों की नज़रों में आया था। बिना अनुमति के सैटेलाइट फोन ऑन करने के तुरंत बाद उसकी लोकेशन ट्रेस की गई और उसे दिल्ली में हिरासत में लिया गया। हालांकि, जांच में उसके खिलाफ कोई राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं पाई गई थी, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया था। उस वक्त भी गाजियाबाद के कविनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
हर्षवर्धन पूर्व में खुद को आध्यात्मिक गुरु चंद्रास्वामी और कुख्यात अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खशोगी का करीबी भी बता चुका है। वह हाई-प्रोफाइल नेटवर्क का भ्रम फैलाकर लोगों को फंसाता था और विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी कर चुका है। वह विभिन्न फर्जी वेबसाइट्स, फर्जी माइक्रोनेशन प्रोजेक्ट्स और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने जाल को फैलाता था।
गाजियाबाद का कविनगर इलाका, जहां यह फर्जी दूतावास संचालित हो रहा था, शहर का सबसे पॉश इलाका माना जाता है। इसी क्षेत्र में पुलिस कमिश्नर, जिलाधिकारी, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय भी हैं। जिस घर में ‘वेस्ट आर्कटिक दूतावास’ का बोर्ड लगा था, उसके बाहर डिप्लोमेटिक झंडों से सजी गाड़ियाँ खड़ी थीं। यही नहीं, वहां ‘अनूप सिंह’ नाम की फर्जी नेमप्लेट भी लगी थी। करीब 100 मीटर दूर दूसरा मकान, जहां हर्षवर्धन का आना-जाना था, उसके पिता एचडी जैन के नाम पर है।
STF ने बताया कि इस फर्जीवाड़े की सूचना सबसे पहले केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विदेश मंत्रालय तक पहुंची थी। मंत्रालय के निर्देश और जांच के बाद STF ने पूरी प्लानिंग के साथ कार्रवाई की। अब इस पूरे नेटवर्क की विस्तार से जांच की जा रही है और आरोपी के विदेशी संपर्कों तथा हवाला चैनलों की कड़ियों को खंगाला जा रहा है। उसे विभिन्न धाराओं में गाजियाबाद के कविनगर थाने में दर्ज मुकदमे के आधार पर जेल भेजा गया है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.