रिपोर्ट-अमानत अली
24 News Update उदयपुर। सैकड़ों वर्षों से मेवाड़वासियों के हृदय में माता महालक्ष्मी के प्रति अटूट आस्था संजोई गई है। महाराणा जगत सिंह के शासनकाल में स्थापित यह प्राचीन मंदिर उदयपुर के भट्टियानी चौहट्टा क्षेत्र में स्थित है। विशेष रूप से प्रसिद्ध यह मंदिर इसलिए भी है क्योंकि यहां माता महालक्ष्मी की अनूठी प्रतिमा हाथी पर विराजित है, जो भक्ति, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। साथ ही, मंदिर का निर्माण जगदीश मंदिर के निर्माण के दौरान बचे पत्थरों से हुआ था, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाता है।
इस वर्ष प्राकट्योत्सव का भव्य आयोजन रविवार को किया जाएगा। सुबह पंचामृत स्नान व अभिषेक के साथ माता महालक्ष्मी का सोने-चांदी के आभूषणों से श्रृंगार कर पूजन होगा। रंग-बिरंगे फूलों व विद्युत सज्जा से मंदिर परिसर भक्तिमय माहौल में परिवर्तित रहेगा। दिन में विधिवत यज्ञ-हवन के माध्यम से समस्त लोक कल्याण और माता की विशेष कृपा की प्रार्थना की जाएगी। संध्या को सुंदरकांड पाठ एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भजन गायक अनिल वैष्णव व दिव्या वैष्णव अपनी भक्ति रस से परिपूर्ण प्रस्तुति देंगे।
इस पर्व का प्रमुख आकर्षण मध्यरात्रि 12 बजे संपन्न होने वाली महाआरती होगी, जिसमें माता महालक्ष्मी की महिमा गान कर भक्तों को आध्यात्मिक शांति व समृद्धि का आशीर्वाद दिया जाएगा। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप महाप्रसाद वितरित किया जाएगा।
श्री श्रीमाली जाति सम्पत्ति व्यवस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष भगवतीलाल दशोत्तर ने बताया कि यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द और परंपराओं को संरक्षित करने का प्रतीक है। ट्रस्टी जतिन श्रीमाली ने बताया कि माता महालक्ष्मी जी श्रीमाली समाज की कुलदेवी हैं और ट्रस्ट नित्य पूजा-अर्चना व परंपरागत आयोजन सुनिश्चित कर रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अमूल्य सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी रहें।
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