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हार्टफुलनेस ध्यान से आत्मिक शांति का अनुभव

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24 News update वीरपुरा जयसमंद. श्री गातोड़ जी मंदिर परिसर, वीरपुरा जयसमंद में हार्टफुलनेस ध्यान और प्रार्थना सभा का सफल आयोजन किया गया। इस ध्यान शिविर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और उन्होंने ध्यान की गहन अनुभूति प्राप्त की। आयोजन समिति के श्री पन्ना लाल औदिच्य ने बताया कि ध्यान सत्र से पूर्व जयसमंद झील की पाल पर भी प्राकृतिक वातावरण में 35 से अधिक लोगों, पर्यटन समिति तथा मत्स्य पालन समिति के सदस्यों ने सामूहिक ध्यान किया।

कार्यक्रम में हार्टफुलनेस संस्था के उदयपुर केंद्र समन्वयक डॉ. राकेश दशोरा ने हार्टफुलनेस के मानव कल्याण से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ध्यान और प्रार्थना, आध्यात्मिक उन्नति का प्रभावी माध्यम हैं, जिससे मन को शांति और हृदय में ईश्वर की अनुभूति होती है। समर्पण भाव से की गई प्रार्थना, चित्त को निर्मल बनाकर मानसिक स्थिरता प्रदान करती है।

हार्टफुलनेस प्रशिक्षक डॉ. सुबोध शर्मा ने संस्था द्वारा संचालित एकात्म अभियान की जानकारी दी, जो भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और हार्टफुलनेस संस्थान के सहयोग से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत राजस्थान के 18,000 गांवों में करोड़ों लोगों को ध्यान साधना से जोड़ने का संकल्प लिया गया है। यह प्रयास संस्थान के वैश्विक गुरु पूज्य श्री कमलेश पटेल दाजी के नेतृत्व में संचालित हो रहा है।

ध्यान सत्र के दौरान बहन आशा शर्मा ने उपस्थित साधकों को निर्देशित शिथिलीकरण अभ्यास करवाया, जबकि बहन रंजना ने मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के लिए ब्राइटर माइंड कसरत का अभ्यास कराया। इसके पश्चात डॉ. सुबोध शर्मा ने प्राणाहुति आधारित योग ध्यान करवाया, जिससे साधकों को गहरी शांति और मानसिक संतुलन की अनुभूति हुई।

ध्यान सत्र के बाद, प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें अपार शांति, कृतज्ञता, तनाव मुक्ति और समाधि की स्थिति का उल्लेख किया गया। इस अवसर पर श्री पन्ना लाल औदिच्य ने कहा कि प्रार्थना हृदय का अमृत है, जो मनुष्य की चित्त वृत्तियों को शुद्ध कर आत्मसाधना के पथ पर आगे बढ़ने में सहायक होती है।

डॉ. सुबोध शर्मा
हार्टफुलनेस प्रशिक्षक एवं पूर्व जन संपर्क अधिकारी, MPUAT, उदयपुर

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