24 News Update कानपुर। सावधान! यह खबर उन सब लोगों के लिए है जो हेयर ट्रांसप्लांट करवा रहे हैं। पहले देख लीजिए कि डाक्टर अनुभवी है या नहीं। कहीं जान के ही लाले नहीं पड़ जाए। यही नहीं इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जब तक सीमए पोर्टल पर शिकायत नहीं हुई, पुलिस मामले को दबाने में लगी रही, एफआईआर तक दर्ज नहीं की। अब जांच हुई तो डाक्टर ने सरेंडर किया है व न्याय की उम्मीद जगी हे।
कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर दो इंजीनियरों की मौत के मामले में आरोपी डॉक्टर अनुष्का तिवारी ने आखिरकार कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। वह 18 दिन से फरार थी और उसकी तलाश में यूपी, बिहार व दिल्ली समेत कई राज्यों में पुलिस की टीमें छापेमारी कर रही थीं। अनुष्का पर आरोप है कि उसने कानपुर के केशवपुरम स्थित अपने क्लिनिक ‘द इंपायर’ में इंजीनियर मयंक कटियार और विनीत दुबे का हेयर ट्रांसप्लांट किया, जिसके कुछ ही घंटों बाद दोनों की हालत बिगड़ गई और 24 घंटे के भीतर दोनों की मौत हो गई।
पहली घटना 18 नवंबर 2024 की है, जब इंजीनियर मयंक कटियार ने ट्रांसप्लांट कराया। क्लिनिक से लौटने के बाद रात को सिर दर्द, चेहरे पर सूजन और सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई। डॉक्टर ने सिर्फ इंजेक्शन और पट्टी ढीली करने की सलाह दी। अगले दिन उसकी मौत हो गई। इसी तरह दूसरी घटना 13 मार्च 2025 को हुई, जब पनकी पावर प्लांट में तैनात सहायक अभियंता विनीत दुबे का ट्रीटमेंट हुआ। अगले दिन उसकी भी हालत बिगड़ गई और 14 मार्च को उसकी मौत हो गई। डॉक्टर अनुष्का तिवारी यह देखकर क्लिनिक बंद कर फरार हो गई थी।
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा शर्मनाक पहलू पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही रही। परिजनों ने मयंक की मौत के बाद छह महीने तक थानों और अधिकारियों के चक्कर काटे लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। विनीत दुबे की पत्नी ने भी थाना, चौकी, एसीपी और डीसीपी से लेकर पुलिस कमिश्नर तक गुहार लगाई, लेकिन रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। अंत में दोनों ही मामलों में पीड़ितों को ब्ड पोर्टल पर शिकायत करनी पड़ी, तब जाकर थ्प्त् दर्ज हुई। इतना ही नहीं, क्लिनिक की लाइसेंसिंग और चिकित्सा प्रक्रियाओं की जांच भी स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की, जिससे ऐसे क्लिनिक धड़ल्ले से चल रहे हैं।
डॉक्टर अनुष्का के खिलाफ पहले से मामला दर्ज होने और दो लोगों की मौत होने के बावजूद पुलिस की सुस्ती और डॉक्टर की फरारी ने कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। अब जब आरोपी ने खुद सरेंडर किया है, तब जाकर जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। यह केस न केवल एक डॉक्टर की गैर-जिम्मेदारी का प्रमाण है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की संवेदनहीनता का भी जीवंत उदाहरण बन गया है।
हेयर ट्रांसप्लांट करवाने वाले इंजीनियरों की मौत, डॉक्टर ने किया सरेंडर, पुलिस और चिकित्सा विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर

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