24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) की कार्रवाइयां अब उसे ही सवालों के घेरे में ला रही है। इको सेंसिटिव जोन में निर्माण पर रोक के साफ आदेश हैं लेकिन निर्माण हो जाते हैं। करोड़ों के निर्माण हो जाते हैं। पूरे के पूरे पहाड़ कट जाते हैं। लेकिन जब निर्माण हो रहे होते हैं, यूडीए के अफसर आंख बंद करके ना जाने कौनसे हरे-हरे आर्थिक सपने देखने लग जाते हैं। जब जमीन पर मंजर बदल जाते हैं। करोड़ों के कंस्ट्रक्शन हो चुके होते हैं, कॉमर्शियल एक्टिविटी से लेकर गैर कानूनी गतिविधियां तक धड़ल्ले से चलने लगती है तब एक दिन अचानक यही अफसर जागते हैं और कार्रवाई करके वाहवाही लूटने लग जाते हैं। जबकि इन अफसरों का बेसिक काम ही ऐसे निर्माण को रोकना है। यह महकमा बना ही इसलिए है। ऐसा कैसे हो सकता है कि इनकी जानकारी के बिना इको सेंसिटिव जोन में एक पत्ता भी हिल जाए। अवैध निर्माण के लिए कोई छोटा सा कदम भी उठा ले। लेकिन यहां पैसा, पावर, राजनीतिक व प्रशासनिक पैतरेबाजियों से लगाकर भू माफियाओं के अपवित्र गठबंधन तक सब कुछ खुल्लम खुल्ला चल रहा है। अब तो जनता कहने लगी है कि जब यह खेल बिगड़ जाता है। आर्थिक दरिया सूखने लगता है तब अचानक कार्रवाई हो जाती है। सवाल ये है कि कार्रवाई नही ंकरने वाले सरकारी नुमाइंदों पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए!! वे वेतन किस बात का ले रहे हैं???
आज सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के इको सेंसिटिव जोन में अवैध रूप से संचालित हो रहे एलपीके क्लब एंड रिसोर्ट को सीज किया गया है। कार्रवाई यूडीए आयुक्त राहुल जैन के निर्देशन में की गई। रिसोर्ट बिना किसी वैधानिक स्वीकृति, रूपांतरण अथवा भू-उपयोग परिवर्तन के बनाया गया था। बड़ा सवाल उठा कि यदि स्वीकृति नहीं थी तो यह बन कैसे गया। इतना बड़ा निर्माण क्या बिना किसी की जेब गर्म हुए हो गया, यह संभव ही नहीं है।
प्राधिकरण की जांच में सामने आया बता रहे हैं कि राजस्व ग्राम उपली बड़ी के आराजी संख्या 3436/19 और 3428/18 में स्थित रिसोर्ट सज्जनगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य के इको सेंसिटिव जोन की सीमा में आता है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित इको सेंसिटिव मॉनिटरिंग कमेटी की पूर्व स्वीकृति के बिना नहीं किया जा सकता। अब सवाल उठता है कि मॉनिटरिंग कमेटी क्या कर रही है। कुछ किलोमीटर का एरिया भी नहीं संभाला जा रहा है तो उसके होने का औचित्य ही क्या है।
यूडीए तहसीलदार डॉ. अभिनव शर्मा के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई के दौरान रिसोर्ट को पूर्णतः सील कर दिया गया। मौके पर यूडीए पटवारी सूरपाल सिंह सोलंकी एवं दीपक जोशी भी उपस्थित रहे।
इको सेंसिटिव जोन बना ‘‘काली कमाई का कॉमर्शियल जोन;; करोड़ों के रिसोर्ट बनते हैं तब आंख मूंद लेते हैं अफसर,,,,अचानक उपरी आदेश मिलते ही पहुंच जाते हैं सीज करने!!!

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