Advertisements
24 News Update लाडनूं। जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं में आयोजित राष्ट्रीय पांडुलिपि कार्यशाला के दौरान मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के प्रभारी अध्यक्ष डॉ. सुमत कुमार जैन ने विषय विशेषज्ञ एवं मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।
डॉ. जैन ने अपने व्याख्यान में जैन प्राकृत, संस्कृत और अपभ्रंश भाषाओं की पांडुलिपियों में संरक्षित ज्ञानपरंपरा और उनके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विस्तार से बताया कि इन पांडुलिपियों में लेखन के लिए प्रयुक्त उपकरण, विभिन्न विशेष प्रकार की प्रतिलिपियाँ तथा उनमें प्रयुक्त प्रतीक-चिह्न विद्वानों के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री प्रस्तुत करते हैं।
उन्होंने उल्लेख किया कि पांडुलिपि विज्ञान पर ही उन्होंने अपनी पीएच.डी. पूरी की है और यह उनका सबसे प्रिय शोध विषय रहा है।

