24 News Update Udaipur. 17 अक्टूबर 2025 को डॉ बामनिया को इनके विरुद्ध विभागीय जांच लंबित के चलते निलंबित किया था के विरुद्ध में डॉ बामनिया ने हाई कोर्ट जोधपुर में निलंबन के विरुद्ध याचिका दायर कर अपने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास बालीया एवं अधिवक्ता दिनेश गोदारा के द्वारा हाई कोर्ट के जज मुन्नारी लक्ष्मण के सामने अपने दो घंटे चली बहस के बाद न्यायलय का निर्णय: एवं टिप्पणी:-
सस्पेंशन आदेश में किस आरोप की जांच होनी है यह स्पष्ट नहीं है,यह केवल विचाराधीन जांच को बताता है जो पर्याप्त नहीं है तथा जिन दो चार्जशीट का हवाला दिया गया है वो बहुत मामूली थी ,अधिकांश आरोप डिविजनल बेंच द्वारा ट्रांसफर रद्द करने और कंटेम्प्ट नोटिस के बाद उभरे,अतः इससे पता चलता है कि कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित थी!
इस प्रकार हाईकोर्ट ने सस्पेंशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए कहा कि सस्पेंशन में पर्याप्त आधार,गंभीर आरोपों का मूल्यांकन और स्पष्टता नहीं है तथा यह सस्पेंशन की कार्यवाही की पृष्ठभूमि देखते हुए प्रतिशोधात्मक की गई है क्योंकि अधिकांश
आरोप डिविजनल बेंच द्वारा ट्रांसफर रद्द करने और कंटेम्प्ट नोटिस के बाद उभरे,अतः इससे पता चलता है कि कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित थी !
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के डिवीजनल बैंच के निर्णय की अनुपालना में डॉ शंकर एच बामनिया ने 11 अप्रैल 2025 को उदयपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की कमान पुन: संभाल थी ,हाईकोर्ट खंड पीठ जोधपुर ने डॉ बामनिया की अपील को स्वीकार करते हुए पूर्ववत उदयपुर सीएमएचओ के रूप में कार्य करने के दिए आदेश दिए थे।
प्रकरणानुसार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी में किए गए ट्रांसफर आदेशों में उदयपुर सीएमएचओ डॉ.शंकर एच बामनिया का झूठी शिकायतो पर ट्रांसफर जिला अस्पताल प्रतापगढ़ में उप नियंत्रक पर कर डिमोशन किया गया था, विभाग के इस आदेश के विरुद्ध डॉ बमानिया ने हाई कोर्ट जोधपुर के एकल पीठ रिट दायर की थी। एकल पीठ ने एएजी के 2008 के पुराने अमेंडमेंट रूल के एफिडेविट के आधार पर अपील खारिज कर दी जबकि डॉ बामनिया ने अपने अधिवक्ता के ज़रिए दलील दी थी कि 2008 के रूल का 2012 में अमेंडमेंट हो गया जिन्हें एकल पीठ ने खंड पीठ में चैलेंज करने का साथ अपील खारिज कर दी थी। एकल पीठ के निर्णय के विरुद्ध डॉ बामनिया ने अपने तत्कालीन अधिवक्ता बी एस संधु जरिये विशेष अपील याचिका मुख्य न्यायाधीश के खंड पीठ जोधपुर में दायर की।
डॉ बामनिया का झूठी और मनगढंत शिकायतों पर हुआ था ट्रांसफर :
खंड पीठ में तीन दिन तक लगातार सुनवाई हुई जिसने पहले दिन वकीलों के हड़ताल की वजह से डॉ बामनिया ने अपनी पैरवी ख़ुद करते हुए खंडपीठ को बताया कि इनका ट्रांसफर जनहित या प्रशासनिक कारणों न होकर विभिन्न झूठी शिकायतों के मध्य नजर दंडात्मक रूप में उप नियंत्रक के पद पर कर डिमोशन किया जो नए संशोधित कैडर रूल (डी ए सी पी) 2012 में लागू नहीं है तथा सभी शिकायतकर्ता उनके नियंत्रण में काम करने ऐसे तीन चिकित्सक डॉ आशुतोष सिंघल,डॉ निधि यादव,डॉ मुकेश अटल जो हमेशा राज्यादेश की अवहेलना, राजकार्य रुचि न लेना और सुपरवाइज़री नेग्लिजेंस रखने कारण नोटिसेस के जवाब असंतुष्ट होने पर इनके विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तावित किए गए थे और एक शिकायत कर्ता डॉ अशोक आदित्य सीएमएचओ के पद पर आने की लालचा से अन्य तीन शिकायतकर्ता के साथ हम सलाह कर डॉ बामनिया के विरुद्ध झूठी शिकायत की गई । यहां तक की शिकायतकर्ता ने केवियट भी लगाई। यह सभी शिकायतें झूठी और मनगढंत पाई गई। डॉ बामनिया के तत्कालीन अधिवक्ता बी एस संधु के ज़रिए खंड पीठ को दलील दी कि सभी शिकायतों के संबंध में संयुक्त निदेशक उदयपुर द्वारा गठित जाँच कमेटी में झूठी,मिथ्या और मनगढ़ंत पायी जो निदेशालय भिजवाई जा चुकी थी, एक जाँच विचाराधीन है जिसका नोटिस का अभिकथन प्रस्तुत कर दिया गया है। अत: कोई जाँच पेंडिंग नहीं है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.