– इस देश में मेडिकल सुविधा और शिक्षा सस्ती होनी चाहिए – राष्ट्रसंत पुलक सागर
– स्वास्थ्य सेवा से राष्ट्र सेवा, चिकित्सकों के लिए विशेष प्रवचन का हुआ आयोजन
24 News Update उदयपुर । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि इसी श्रृंखला में बुधवार को नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन उदयपुर के तत्वावधान में राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज का चिकित्सकों के लिए विशेष प्रवचन स्वास्थ्य सेवा से राष्ट्र सेवा का आयोजन आरएनटी मेडिकल कॉलेज के मुख्य ऑडिटोरियम में हुआ ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कलेक्टर नमित मेहता ने की, मुख्य अतिथि विधायक ताराचंद जैन एवं विशिष्ट अतिथि प्रधानाचार्य विपिन माथुर थे । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, उसके पश्चात आरएनटी मेडिकल कॉलेज की छात्राओं ने मंगलाचरण नृत्य की प्रस्तुति दी । डॉ. विपिन माथुर ने अपने शब्दों से समस्त चिकित्सकों एवं विद्यार्थियों की ओर से आचार्यश्री का स्वागत अभिनंदन किया ।
महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने बताया कि इस दौरान आचार्य ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि तुम्हारे हाथों में दवाएं है, मेरे हाथों में दुआएं है, तुम्हारे पास मरहम है, मेरे पास रहम है । महात्मा बुद्ध ने बहुत प्यारी बात कहीं है, जितना महासागरों में जल है, उतना तो लोग रो कर, पीड़ा में बहा देते है । मैं चाहता हूं कि मैं धर्म के माध्यम से लोगों के आंसू पोंछता हूं, आपको भी सभी के आंसू पोंछने का प्रयास करना है । ये सफेद कोट जो आपने पहनी है, यह संतों के पवित्र चादर से भी पवित्र होती है । जिंदगी में सबसे पहले अच्छा इंसान बनने की जरूरत है । इंसान ने आज विज्ञान के युग में बहुत तरक्की कर ली, लेकिन आदमी धरती पर चलना नहीं सीख पाया । चलना वो नहीं जो चाल है, चाल तो वो है जो आपके चरित्र पर निर्भर करती है । दुनिया में हजारों लोगों के आंखों में आंसू है, उन्हें बिना किसी धर्म मजहब को देखते हुए उनकी सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए । संत और डॉक्टर के पास हमेशा रोते रोते लोग आते है, और हंसते हंसते जाते है । डॉक्टर कभी कभी अपने त्यौहार नहीं मना पाता, कभी अपने परिवार को समय नहीं दे पाता, ऐसी डॉक्टर की साधना होती है । डॉक्टर को कितनी फीस मिली यह महत्वपूर्ण नहीं है, यदि सही होकर मरीज मुस्कुराकर चला जाए, तो वह डॉक्टर को जिंदगी भर सुकून दिया करता है । डॉक्टर अंत तक साथ निभाते है, इस धरती पर डॉक्टर ही वो इंसान है, जिसके पास लोग जिंदगी मांगने जाया करते है । डॉक्टर पर विश्वास रखना चाहिए, उसकी इलाज की प्रक्रिया पर साथ देना चाहिए । जिंदगी में व्यक्ति बुराई को ध्यान से सुनता है तो उसे अपनी प्रशंसा को भी सुनना चाहिए । अपनी प्रशंसा को यदि ईश्वर के आशीर्वाद स्वरूप स्वीकार करने लगेंगे तो जीवन में कभी अहंकार नहीं आएगा । इसलिए मैं पुलकसागर कहता हूं कि अपनी प्रशंसा और तारीफ को ईश्वर का आशीर्वाद समझ कर स्वीकार करो । देश के सिस्टम को बदलने की जरूरत है, यदि देश में मेडिकल सुविधाएं और शिक्षा सस्ती हो जाए तो इस देश में इलाज भी सस्ता हो जाएगा और इस देश से भ्रष्टाचार भी खत्म हो जाएगा । डॉक्टर को मरीज के साथ बड़े ही प्रेम से पेश से आना चाहिए । यदि डॉक्टर प्रेमपूर्वक मरीज से बात कर ले तो मरीज की पचास प्रतिशत बीमारी दूर हो जाती है । मरीज को दुआएं ज्यादा देना दवाएं कम देना, क्योंकि ऑपरेशन करते समय सिर्फ शरीर के अंदर डॉक्टर के औजार ही दुख नहीं दिया करते है, कभी कभी मरीज को डॉक्टर का कठोर व्यवहार भी दुख दिया करता है । डॉक्टर को अपने कर्म में संवेदना और मानवता लाना जरूरी है, किसी भी हालत में किसी मरीज की सांस नहीं टूटनी चाहिए, ऐसा प्रत्येक डॉक्टर का मन होना चाहिए ।
प्रचार प्रसार मंत्री विप्लव कुमार जैन ने बताया कि कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मुकेश बडज़ात्या, डॉ. राहुल जैन, डॉ. सुनील गोखरू एवं डॉ. एम. पी. जैन थे । इस अवसर पर चातुर्मास मुख्य संयोजक पारस सिंघवी, डॉक्टर आनंद गुप्ता, गेंदालाल फांदोत, अशोक शाह, नीलकमल अजमेरा, विनोद कंठालिया, पुष्पेंद्र जैन, पिंटू जैन, डॉ. सुशील साहू, डॉ. तरुण रेलोंत, डॉ. अजीत सिंह वाघेला, डॉ. पृथ्वी जिगर, ओमप्रकाश पालीवाल, हरीश चौबीसा, पवन दानाध्यक्ष, प्रवीण चरपोटा, डॉ. रणजीत बैरवा एवं शारदा गरासिया सहित कई लोग मौजूद थे । कार्यक्रम का मंच संचालन भावना शाह ने किया ।
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