
24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। भ्रष्टाचार अमर था, है और रहेगा। कोई फर्क नहीं पड़ता कि गरीब का बच्चा स्कूल में दबकर मर रहा है। सबको अपने अपने हिस्से का फो-कट का मनी चाहिए। ऐसे में केवल 50 प्रतिशत या उससे भी बहुत कम खर्च होता है बाकी नीचे से उपर तक बैठे महाभ्रष्ट कर्मचारियों व नेताओं की जेब में जाता है। यह खूनी खेल कल भी जारी था और आगे भी जारी रहेगा जब तक जनता नहीं जागेगी।
उदयपुर जिले के कोटड़ा क्षेत्र के पाथरपाड़ी स्थित सरकारी सी.सै. स्कूल में दर्दनाक हादसा सामने आया है। निर्माणाधीन भवन का छज्जा गिरने से 11 वर्षीय छात्रा की मौत हो गई, जबकि दूसरी बच्ची गंभीर रूप से घायल है, जिसका गुजरात में उपचार चल रहा है।
हादसे के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया और घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग तथा लापरवाही के आधार पर ठेकेदार के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। एईएन हेम सिंह को निलंबित किया गया और संविदा पर कार्यरत जेईएन अनिल कश्यप की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी आधी-अधूरी कार्रवाइयों से जिम्मेदार बड़े चेहरे बचते रहेंगे? और कब तक भ्रष्टाचार और मिलीभगत के चलते मासूम बच्चों की जानें जाती रहेंगी?
एसडीएमसी की अनुमति लिये बिना शुरू किया निर्माण
शिक्षकों के अनुसार निर्माण कार्य स्कूल एसडीएमसी की स्वीकृति के बिना ही शुरू कर दिया गया था। एईएन और जेईएन ने शिक्षकों को निर्माण प्रक्रिया से दूर रहने के निर्देश दिए थे, जिसके चलते शिक्षक निगरानी नहीं कर पाए।
इंजीनियरों की जगह टीचर और संविदाकर्मी को दी मॉनिटरिंग जिम्मेदारी
इस बात से ग्रामीणों में भारी रोष है कि जिस काम के लिए पेशेवर इंजीनियरों की आवश्यकता थी, वहां एक ग्रेड थर्ड टीचर और संविदा कर्मचारी को जिम्मेदारी सौंप दी गई। एडीपीसी ननिहाल सिंह ने खुद माना कि मॉनिटरिंग की तकनीकी जिम्मेदारी एईएन-जेईएन की थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह स्वयं भी इस घटना के लिए उत्तरदायी हैं।
घटिया सामग्री और लापरवाही को बताया मौत का कारण
लोगों ने कहा कि निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई और सरियों की फिटिंग सही से नहीं हुई। यही कारण रहा कि छज्जा ढह गया। ग्रामीणों ने इसे शिक्षा विभाग की “बड़ी लापरवाही” बताया और कहा & “कब तक निरीह बच्चे घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते रहेंगे?”
75 लाख की लागत वाली भवन परियोजना अभी भी अधूरी
प्रधानमंत्री श्री योजना के तहत 75 लाख रुपये की लागत से नई स्कूल बिल्डिंग में 7 कमरे और खेल मैदान बनाए जा रहे थे। फरवरी में कार्य शुरू हुआ था और 5 अगस्त तक पूरा होना था, लेकिन निर्माण अभी भी अधूरा है। ठेकेदार ने दो माह का अतिरिक्त समय मांगा था।
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