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स्कूल भवन हादसे के बाद मुख्यमंत्री का बड़ा फैसला: जर्जर सरकारी भवनों की मरम्मत के लिए 20% राशि की अनुमति, विधायक भी दे सकेंगे फंड से योगदान

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24 News Update जयपुर, झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में हाल ही में सरकारी विद्यालय की इमारत गिरने से हुई दुखद घटना के बाद मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने संवेदनशीलता और तत्परता दिखाते हुए राज्य के सभी जर्जर और मरम्मत योग्य राजकीय संस्थानों, स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति सुधारने के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने डांग, मगरा, मेवात क्षेत्रीय विकास योजना के तहत अब भवन मरम्मत हेतु उपलब्ध राशि की सीमा को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की घोषणा की है। यह राशि अब प्राथमिकता के आधार पर जीर्ण-क्षीर्ण सरकारी भवनों की मरम्मत में उपयोग की जा सकेगी।
इसके साथ ही अब राज्य के विधायकगण भी अपने MLA-लेड वार्षिक विकास कोष से स्कूलों और आंगनबाड़ी जैसे सार्वजनिक भवनों की मरम्मत हेतु 20 प्रतिशत तक की राशि की अनुशंसा कर सकेंगे। पहले केवल उन्हीं भवनों की मरम्मत की अनुमति थी जो विधायक निधि से ही बने थे, लेकिन अब यह दायरा सभी प्रकार के राजकीय भवनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने सभी विधायकों से अपील की है कि वे अपने क्षेत्र के जर्जर और पुराने स्कूल भवनों को चिन्हित कर शीघ्र मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्यों के लिए निधि का समुचित उपयोग करें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की किसी भी अप्रिय और जानलेवा घटना से बचा जा सके।
तत्काल निरीक्षण और रिपोर्ट के निर्देश
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को अपने निवास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में सभी जिला कलेक्टर्स और विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने जिलों में स्थित स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सभी सरकारी भवनों का तत्काल निरीक्षण करें और मरम्मत कार्य शीघ्र प्रारंभ करें। इसके अतिरिक्त, भवनों की संरचनात्मक स्थिति की तकनीकी जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई है, जिसे पांच दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
बजट में 375 करोड़ का प्रावधान
राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में बिना भवन वाले और जर्जर स्कूलों के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए 375 करोड़ रुपये का प्रावधान पहले ही कर दिया है। साथ ही, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को 3 करोड़ रुपये तक की राशि मरम्मत कार्यों के लिए अलग से दी जा रही है, जिससे सभी आवश्यक संरचनात्मक सुधार किए जा सकें।

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