24 न्यूज अपडेट, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक स्थित बरद्वार गांव में एक रहस्यमयी प्राकृतिक घटना ने ग्रामीणों को हैरान और दहशत में डाल दिया है। भारी बारिश के बाद पचरी तक लबालब भरे तालाब का सारा पानी अचानक एक ही दिन में एक सुरंगनुमा गड्ढे में समा गया। ग्रामीण इसे “प्राकृतिक चमत्कार” मान रहे हैं, जबकि भू-वैज्ञानिकों ने इसे सिंकहोल (Sinkhole) बनने की आम प्रक्रिया बताया है।
सुबह लबालब भरा था तालाब, दोपहर होते-होते पूरा खाली
ग्रामीणों के अनुसार, 16 जुलाई की सुबह तालाब पूरी तरह भरा हुआ था, लेकिन दोपहर होते-होते अचानक तालाब का पानी एक गड्ढे में तेजी से बहने लगा। गांव के निवासी रामधनी यादव ने बताया, “जैसे ही देखा कि पानी बह रहा है, भागकर मौके पर पहुंचे। तालाब के एक कोने में सुरंग जैसी गहराई बन चुकी थी और पानी उसमें तेजी से समा रहा था। कुछ ही घंटों में पूरा तालाब सूख गया। ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी।”
गांव में दहशत, प्रशासन से मदद की गुहार
घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। लोग अपने बच्चों को तालाब के पास नहीं जाने दे रहे, उन्हें डर है कि कहीं जमीन और न धंस जाए। किसानों को अपने खेत और मकानों को लेकर चिंता सता रही है। ग्राम पंचायत और प्रशासन को सूचना देने के बावजूद अब तक कोई अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है। गांव के सरपंच और जनप्रतिनिधियों ने भू-वैज्ञानिकों की टीम भेजने की मांग की है, ताकि इसकी वैज्ञानिक जांच हो सके।
क्या है सिंकहोल? भू-वैज्ञानिकों की राय
भू-वैज्ञानिकों ने इस घटना को सिंकहोल बनने की प्रक्रिया बताया है। उनका कहना है कि चट्टानी क्षेत्रों में जब बारिश होती है, तो पानी जमीन के नीचे मौजूद दरारों और छिद्रों से मिट्टी और अवशेषों को बहा ले जाता है। इससे जमीन की सतह कमजोर होकर धंस जाती है, और एक गड्ढा या सुरंग बन जाती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे “भूमि का अपक्षय” (Land Erosion) कहा जाता है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि घटना की जानकारी तत्काल ग्राम पंचायत और तहसील प्रशासन को दी गई, लेकिन अब तक कोई भू-वैज्ञानिक या प्रशासनिक टीम गांव नहीं पहुंची। लोगों का आरोप है कि प्राकृतिक आपदा की आशंका के बावजूद प्रशासन उदासीन रवैया अपना रहा है।
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