24 News Update सागवाड़ा जयदीप जोशी। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम महाराज ने सत्संग में बताया कि गुरु की कृपा से जीव भी भवसागर में डूबा हुआ निकल जाता गुरु मिल जाते हे तो गोविन्द के भी दर्शन हो जाते हैं गुर विमुख नहीं होना चाहिए।
संत ने कहा भारी वस्तु को हल्के मे नहीं लेना चाहिए वाणी को तोल के गुरु के सामने बोलना चाहिए गुरु ज्ञानी है, गुरु ही मेरा राम है संतो के पास अनमोल शब्द होते हैं जो संसार में कहीं नहीं मिलते संतो की बातो में अमृत होता है। भाग्य से ज्यादा नहीं मिल पाता राम का नाम जपते रहने से हमारे दु:ख कट जाते हैं। सांस का मोल है ,शरीर का नहीं हृदय में गुरु का प्रकाश होने पर ही प्रकाश होगा ,सूर्य -चंद्र का प्रकाश आता जाता रहता है। संत ने बताया बगुला एवं हंस एक ही तालाब में भोजन करते हैं बगुला मछली खाता है एवं हंस मोती लक्ष्मी के पूजन से धन एवं माता-पिता के पूजन से सेवा मिलती है। गरीब व्यक्ति को कुछ भी मिल जाता है तो वह खुश हो जाता है ज्ञान की प्राप्ति के लिए ध्यान, स्वाध्याय और गुरु की शरण में जाने का मार्ग सुजाता है ढ्ढ ज्ञान को दो भागों में बांटा गया है आत्मज्ञान एवं ब्रह्मज्ञान ब्रह्मज्ञान के गहन आध्यात्मिक और प्रायोगिक निहिताथो को स्पष्ट करता है। व्यक्ति अपनी सीमित अहंता को त्यागकर शुद्ध चैतन्य स्वरूप को पहचान लेता है ब्रह्मज्ञानी के कुल में अज्ञान नहीं रहता यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत ज्ञान का प्रभाव परिवार और समाज के आध्यात्मिक उत्थान तक विस्तारित होता है। यह (दु:ख) और पाप (कर्म- बंधन) से मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अज्ञान और आसक्ति से उत्पन्न होने वाले दु:ख और कर्मों के बंधन ब्रह्मज्ञान द्वारा समाप्त हो जाते हैं। प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया कि सत्संग में माला फेरो राम की रामचरण महाराज की.. सहित कई भजन प्रस्तृत किये जिस पर भक्त झूम उठे। संत प्रसाद अनीता सुथार परिवार का रहा। सत्संग में रामस्नेही नाथू परमार, देवीलाल सोनी, रमेश राठौड़ ,विष्णु दोसी, अनिल सोनी के अतिरिक्त ,संगीता सोनी, भानु सेवक, प्रेमलता सुथार सहित कई रामस्नेही भक्त उपस्थित रहे।
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