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यहां भी अफसरशाही हावि : स्वरूपसागर के 4 गेट सवा 7 बजे 3-3 इंच खोले, 8 बजे तक बाढ़ नियंत्रण कक्ष को नहीं दी पूरी सूचना, सूचनाओं पर पहरेदारी का क्या है कारण??

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। स्वरूप सागर के गेट खुलने की सूचना एक दिन पहले समाचार माध्यमों में प्रसारित करवाई गई मगर कल गेट नहीं खुले। कलेक्टर साहब अवलोकन कर आए मगर गेट नहीं खुले। आंकड़ों ने स्वरूपसागर को 99 प्रतिशत भरा हुआ बताया मगर गेट नहीं खोले गए। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि आज रविवार को गेट खुलेंगे। लेकिन कब खुलेंगे यह सूचना गोपनीय रखी गई। इसके पीछे क्या कारण था यह तो अफसर ही जानें मगर एक इंटरेस्टिंग बात यह हुई कि जब हमने शाम को 8 बजे उदयपुर के बाढ़ नियंत्रण कक्ष से पूछा कि स्वरूप सागर के गेट खुलने की क्या सूचना है तब बताया गया कि गेट तो खुल गए हैं लेकिन अफसर मौके पर हैं वहां से सूचना आने के बाद बताया जाएगा कि कितने गेट खुले। उसके बाद जब हमने जल संसाधन विभाग के अधिशासी से जानना चाहा कि गेट कब खोले, कितने खोले तो उन्होंने कहा कि हम सूचना नहीं दे सकते, इसका प्रेसनोट जारी कर दिया जाएगा। याने कि साफ हो गया कि अधिकारी इस जन महत्व की सूचना पर भी पहरा बिठाना चाहते हैं कि स्वरूप सागर के गेट कब खोले गए। जबकि होना यह चाहिए था कि समाचार माध्यमों व सोशल मीडिया में कम से कम तीन से चार घंटे पहले सूचना दी जानी चाहिए थी कि गेट कब खोल रहे हैं। ऐसा कोई मुहूर्त तो निकला नहीं जा रहा था और ना ही ऐसा कोई पानी का तात्कालिक दबाव था कि गेट खोलना तत्काल कोई मजबूरी बन गया। प्रशासन का यह रवैया बता रहा है कि अफसर जनता के लिए नहीं बल्कि अपने उपर के अधिकारियों के लिए ही काम कर रहे हैं।


बताया जा रहा है कि गेट खोलने से पहले सायरन बजाकर लोगों को सावचेत किया गया। मगर सवाल यह है कि पूर्व सूचना भी दी जा सकती थी। क्योंकि गेट खोलना तो कल ही तय हो चुका था। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर पूरी व सटीक सूचना बाढ़ नियंत्रण कक्ष को भी लगभग एक घंटे तक नहीं दी जा रही है तो फिर सूचना कहां जा रही है। कहां से आदेश आ रहे है??? या तो आदेश देने वाला कोई बड़ा अफसर इतना पावरफुल हो गया है कि उसे पहले सूचना देना जरूरी हो गया है बजाय कि बाढ़ नियंत्रण कक्ष के। या कोई और वजह है।


उस पर इंजीनियर साहब भी स्वरूप सागर के गेट खुलने की सूचना प्रेसनोट जारी होने तक आखिर क्यों अपने तक महफूज रखना चाह रहे हैं, यह बहुत बड़ा सवाल है। क्योंकि ऐसे मामलों में सूचना का अधिकाधिक व समयबद्ध रूप से प्रसार अत्यावश्यक व अनिवार्य शर्त है। जितने ज्यादा लोगों को बताया जाएगा, खतरा उतना ही कम हो जाएगा, सतर्कता व जागरूकता उतनी ही ज्यादा बढ़ जाएगी। इस खबर की प्रेस विज्ञप्ति स्वरूप सागर के गेट खोले जाने के लगभग दो घंटे बाद जारी की गई। याने कि मीडिया को आधिकारिक रूप से दो घंटे बाद बताया गया कि स्वरूप सागर के गेट खुल गए हैं व चार गेट से कुल 238.2 क्यूसेक पानी की निकासी हो रही है। तब तक सोशल मीडिया पर तस्वीरें व अपुष्ट सूचनाएं तैर गईं। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि ऐसा आखिर कब तक चलेगा? क्या फतहसागर के मामले में भी ऐसा ही होगा, यह देखने वाली बात होगी?

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