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आर के सर्कल पर फेल हुआ भाजपा का ‘हार्डकोर हार्डवेयर‘, मुद्दा बनता देख ‘ओल्ड गार्ड सॉफ्टवेयर’ ने संभाली डेमेज कंट्रोल की कमान, एक्सपोज हुई यूडीए अफसरों की चरण-वंदना!!

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। कल आर के सर्कल पर हुई यूडीए की 35 से अधिक दुकानों को सीज करने की कार्रवाई के बाद से व्यापार जगत में ऐसा घमासान मचा हुआ है कि भाजपा का कोर ग्रुप तक बेचैन हो उठा है। कल से आज तक जो छीछालेदर शहर भाजपा की हुई है वह इससे पहले इतनी तेजी से कभी नहीं हुई। लोग पूछ रहे हैं कि दीपावली से पहले इस तरह की कार्रवाई और वो भी कुछ लोगों के कहने पर और मंत्रीजी के इशारे पर आखिर बिना सोचे समझे कैसे कर दी। इसके लॉन्ग टर्म पॉलिटिकल लॉस का अंदेशा होते ही पूरी पार्टी घुटनों पर आ गई और प्लान बी तैयार हुआ कि हार्डकोर हार्डवेयर के फेल होने के बाद ओल्ड गार्ड सॉफ्टवेयर मामले में डेमेज कंट्रोल की कमान संभालेंगे।

हार्डकोर के प्रति लोगों में तब से गुस्सा व्याप्त है जब से उसने अति आवेश और अति उत्साह में आकर अपने मसल पावर का इस्तेमाल कर लिया था। जिस जिस ने वीडियो देखा, उस उस ने लानत भेजी।
बहरहाल, आज जब लगभग मरणासन्न और गिनती की सांसें ले रही जिला कांग्रेस को जब यह पता चला कि इस मुद्दे में जनहित का स्पार्क है और लॉंग टर्म पॉलिटिकल केपिटल गेन है तो यूथ कांग्रेस एक्शन में आ गई। विरोध के वीडियो शेयर होते ही कांग्रेस खेमे की बांछें खिल गई तो भाजपा के खेमे में चिता समान चिंता पसर गई। अब खबर यह आई है कि सॉफ्ट, साफ सुथरी छवि वाले वरिष्ठ नेता मांगीलालजी जोशी को मैदान में उतारा गया है। उन्होंने एक पत्र जारी करके लिखा है कि –

मैने जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़ के साथ अपने निवास पर मीटिंग की। इस त्यौहारी सीजन में यूडीए द्वारा पार्किंग की आड़ में सीज की कार्यवाही ठीक नहीं है। भाजपा नेताओं के नाम जुड़ने से पार्टी की साख पर भी सवाल उठ रहे थे। ऐसे में शहर विधायक ताराचंद जैन के साथ टेलीफोन पर और गजपाल सिंह राठौड़ को अपने निवास पर बुलाकर इस मामले में आवश्यक चर्चा की। चर्चा में मुख्य रूप से तय हुआ कि सभी सांसदों- विधायकों और अधिकारियों के साथ इस विषय पर चर्चा करके समस्या का हर सम्भव समाधान निकाला जाएगा। साथ ही दुकानदारों को नियमानुरूप व्यवस्था करने के लिए तीन माह का अतिरिक्त समय दिया जाए।इस पर जिलाध्यक्ष राठौड़ ने विश्वास दिलाया कि यू डी ए कार्यवाही से प्रभावित दुकानदारों को राहत दिलाने के लिए पार्टी की तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस मामले में भाजपा नेताओं का नाम आया है लेकिन उनकी तरफ से मंत्री जी को दुकानों के बाहर किए गए अतिक्रमण की शिकायत मात्र की गई थी। लेकिन यू डी ए ने कार्यवाही में कुछ अधिक सख्ती बरत ली। फिलहाल हम दुकानदारों को जल्द से जल्द राहत दिलाने के लिए प्रयासरत है ताकि त्यौहारों में किसी भी दुकानदार को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े और वे यथावत अपनी रोजी रोटी के लिए अपना काम सुचारू रूप से चला सके।

इस चिट्ठी से साफ हो रहा है कि भाजपा को इस मामले में कितने अंदरूनी राजनीतिक घाव लगे है। यह घाव कहीं नासूर नहीं बन जाए इसलिए उन लोगों को जिम्मेदारी दी गई है जो अब तक गुलाबजी की वजह से लगभग हाशिये पर धकेल दिए गए थे। क्या आरके सर्कल को हम भाजपा का भी सर्कल रिवाइव मोमेंट कह सकते हैं जिसमें ओर्ल्ड गार्ड फिर से अपनी छवि के साथ मैदान में उतर रहे हैं और उसी के सहारे पार्टी अपनी खोती साख को बचाने का प्रयास करती नजर आ रही है।

आपको बता दें कि शहर में भाजपा और कांग्रेस नेताओं के भी कई बड़े प्रतिष्ठान, होटलें आदि हैं। क्या उनके बाहर पार्किंग की सुविधा है। दोनों दल इस बात से डरे हुए हैं कि जनता जब ये सवाल पूछेगी तो कहां मुंह छिपाते फिरेंगे?? क्या तर्क देंगे?? खास तौर पर भाजपा जब सत्ता में है और आरके सर्कल की कार्रवाई में यह साफ दिख रहा है कि यूडीए नेताओं की पिछलग्गू बनकर एकतरफा मनमानी कार्रवाई भाजपा के कहने पर कर गई है तो फिर उसके साइड इफेक्ट होना भी तय है।

आपने ऐसा कब देखा कि किसी बड़ी कार्रवाई के बाद ऐसा डेमेज कंट्रोल किया जाए व कहा जाए कि अच्छा चलो, बात करते हैं। और समय दे देते हैं ताकि जो कुछ कर रहे हैं उसको कानूनी जामा पहनाया जा सके। ऐसा अव्वल तो होता नहीं है, और हुआ है तो फिर इसकी भी नजीर देकर आगे भी रियायतें मांगी जाती रहेगी। याने अगर भाजपा के किसी खेमे ने तत्काल राहत के लिए जिम्मा उठाया है तो फिर उसको आगे भी इसी तरह की कार्रवाइयों में राहत का जिम्मा उठाना होगा, नहीं उठाएंगे तो वहां पॉलिटिकल नुकसान होगा। बरहाल, यह डिवलपमेंट शहरवासियों के लिए बहुत अच्छा है कि भाजपा पॉलिटिकल लॉस के डर से ही सही, व्यापारियों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है। वरना इससे पहले तो धुआंधार एकतरफा बल्लेबाजी हो रही थी। कोई किसी की सुनने तक को तैयार नहीं था।
इस कार्रवाई से यूडीए के अफसर भी एक्सपोज हो गए हैं। वे तनख्वाह तो जनता के टेक्स के पैसो ंकी लेते हैं लेकिन चाकरी सत्ता प्रतिष्ठान की बजाते हैं। उनके इशारों पर नाचते ही नहीं है बल्कि चरण वंदना तक करते हैं। जनता चाहती है कि वे जिस काम के लिए अपॉइंट किए गए हैं उसमें वे लॉयल रहें, रीढ की हड्डी को तानकर रखें। कट मनी के चक्कर में जनता की ऐसी की तैसी नहीं करे। नेता भी याद रखें कि एक बार विश्वास डोल गया जनता का तो फिर उनकी गुरूर वाली कुर्सी को डोलने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

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