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खबर का बड़ा असर : मिराज की 425 करोड़ की अनियमितताओं पर बड़ा एक्शन, स्पेशल ऑडिट कमेटी गठित, बारीकी से होगी जांच, धोखाधड़ी करने वालों पर गिरेगी गाज

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24 न्यूज अपडेट. नाथद्वारा। मिराज समूह की ओर से नाथद्वारा में की गई वित्तीय अनियमितताओं के सामने आने के बाद अब शिकंजा कसता ही जा रहा है। विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल की नगरपालिका में हुए घोटालों की पिछले दिनों वर्तमान भाजपा सरकार में हुई ऑडिट (जांच) में करीब पांच सो करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितता उजागर होने के बाद क्षेत्रीय उन्होंने व राजस्थान सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। 27 मई को निदेशक मेवाराम जाट, निदेशालय निधि अंकेक्षण जयपुर ने उदयपुर के अतिरिक्त निदेशक निधि अंकेक्षण विभाग को अविलंब नगरपालिका नाथद्वारा में वित्तीय अनियमिताओं की स्पेशल ऑडिट (जांच) कर कार्यवाही हेतु रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। मेवाड़ ने ओवरऑल जांच के आदेश दिए हैं व मिराज का नाम नहीं लिया है मगर पालिका की वित्तीय अनियिमतताओं का सबसे बड़ा मामला मिराज का ही है। याने समझदार को इशारा ही काफी है कि अब मिराज के खिलाफ बडी जांच होने जा रही है।
स्पेशल ऑडिट में अनियमितता की जांच वित्तीय लेनदेन में जानबूझकर गलत या गलत जानकारी पेश करने की गतिविधि जिसमें गबन, धोखाधड़ी, संपत्ति का दुरुपयोग, रिकॉर्ड में हेरफेर, या कानून या नियमों का उल्लंघन करने आदि शामिल है। विधायक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि इस जांच के होने से राजस्व की हुई हानि को रिकॉर्ड पर लेकर राजस्व वसूल किया जाएगा और वित्तीय अनियमितताओं में शामिल अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाएगी। विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ की इस पहल ओर पालिका में राजस्व वसूल होने से नाथद्वारा में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।

24 न्यूज की खबर का हुआ असर
आपको बता दें कि 425 करोड़ रुपये की अनियमितताओं पर मिराज ग्रुप को नोटिस की खबर 24 न्यूज अपडेट ने अपनी विभिन्न प्लेटफार्म पर प्रकाशित किया जिसके बाद से हडकंप मचा हुआ है। मिराज को नोटिस पालिका की ओर से दिया गया है व जवाब नहीं दिया तो भूमि निरस्तीकरण की नौबत आ सकती है। आपको बता दें कि विभिन्न प्रकरणों में मिराज पर गंभीर वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप है। पालिका की ओर से शीघ्र ही जवाब मांगा गया है। इतने बड़े समूह के खिलाफ नगर पालिका की ओर से की गई कार्रवाई के पूरे राजस्थान में चर्चे हो रहे हैं। क्योंकि समूह के उंचे राजनीतिक रसूखात हैं इसके बावजूद अधिकारियों ने अपनी जो रीढ़ की सीधी हड्डी दिखाई है वह काबिले तारीफ है। रसूखात कितने उंचे हैं कि नेता व जन प्रतिनिधि भी मिराज का नाम लेने से बच रहे हैं।
आपको बता दें कि ऑडिट रिपोर्ट में मिराज समूह पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का खुला खेल खेलने का आरोप लगा। इसके बाद से अब तक रसूखात के चलते कार्रवाई नहीं की गई थी। कई स्थापित व बडे माने जाने वाले मीडिया समूहों ने एकदम चुप्पी साध ली है। इसके बाद से लोगों में मीडिया के प्रति भी खासी नाराजगी देखी जा रही है। राजसमंद जिले स्थित नाथद्वारा नगरपालिका ने मिराज डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और उससे संबद्ध तत्पदम उपवन प्रा.लि. को करीब ₹425 करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कठोर चेतावनी जारी की है। यह कार्रवाई स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग, उदयपुर द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-24 के ऑडिट रिपोर्ट में लगाए गए विभिन्न गंभीर आक्षेपों के आधार पर की गई है।


कुल 5 प्रमुख आक्षेप, 425 करोड़ से अधिक की हानि
अंकेक्षण विभाग के अनुसार, मिराज ग्रुप द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत नगरपालिका को निम्नलिखित हानियां पहुंचाई गईंः
₹231.52 करोड़ – अम्यूज़मेंट पार्क के लिए 25 बीघा अतिरिक्त भूमि के अनियमित आवंटन से।
₹136.89 करोड़ – शिव मूर्ति प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं से।
₹20.69 करोड़ – दीपचंद पालीवाल मॉडल बस स्टैंड टर्मिनल परियोजना में Swiss Challenge Method के अंतर्गत अनियमित लाभ।
₹20.06 करोड़ – बड़े भूखंड की ई-नीलामी में प्रतिस्पर्धा व पारदर्शिता के अभाव से।
₹16.80 करोड़ – प्बवदपब ळंजमूंल निर्माण में भूमि प्रतिफल में गड़बड़ियों से।


पालिका की सख्त चेतावनीः जवाब दो या ज़मीन वापस होगी
नाथद्वारा नगर पालिका ने कंपनी को प्रत्येक आक्षेप की प्रति भेजते हुए स्पष्ट किया है किः “आप 15 दिनों के भीतर प्रत्येक पैरा के संदर्भ में प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। यदि निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया गया तो नियमानुसार वसूली की कार्रवाई की जाएगी अथवा आवंटित भूमि का आवंटन निरस्त कर उसे पालिका के कब्जे में लिया जाएगा। समस्त जिम्मेदारी आपकी होगी।”


दान नहीं, प्रतिफल के बदले भूमि आवंटन
विशेष रूप से मॉडल बस स्टैंड और Iconic Gateway परियोजनाओं को लेकर रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि ये दान परियोजनाएं नहीं थीं, बल्कि इन्हें राजकीय भूमि के बदले पारस्परिक प्रतिफल की व्यवस्था के तहत निर्मित किया गया। फिर भी परिसंपत्तियों पर नामकरण कर आमजन को यह भ्रमित किया गया कि यह निजी संस्थान की ओर से दान है। मिराज ग्रुप ने सभी मामलों में जवाब प्रस्तुत करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम-2015 के तहत संबंधित पत्रावलियों की मांग की थी। अब जब पालिका ने पत्रावलियों की प्रतियां उपलब्ध करवा दी हैं, तब कंपनी से स्पष्ट जवाब अपेक्षित है।


क्या कहते हैं विशेषज्ञ
राजस्व मामलों के जानकारों का मानना है किः “₹400 करोड़ से अधिक की राजस्व हानि का यह मामला सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग का प्रतीक है। यदि मिराज ग्रुप दोषी पाया जाता है तो न केवल वसूली होनी चाहिए, बल्कि भूमि आवंटन भी रद्द कर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।” अब मिराज डेवेलपर्स प्रा.लि. के पास सीमित समय है

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