24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा के एक बयान के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में अपने वक्तव्य में इतिहास में कहा था कि – ‘‘हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव’’ से हम कई राजा-महाराजाओं के बारे में सुनते हैं, जिनमें महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान और अकबर शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम कई अच्छे राजाओं को याद रखते हैं, और कुछ औरंगजेब जैसे थे, जो एक कुशल ‘‘एडमिनिस्ट्रेटर’’ था। इस वक्तव्य के बाद से बवाल मचा हुआ है व कहा जा रहा है कि उन्होंने आखिर ओरंगजेब व अकबर तो अच्छा कैसे बता दिया?? खास तौर पर एबीवीपी संगठन की ओर से कल से ही इस मुद्दे पर मोर्चा लिया जा रहा है। आज कई संगठनों की ओर से भी महाराणा प्रताप की धरती पर अकबर और ओरंगजेब को अच्छा बताने पर वीसी की कड़ी आलोचना की व इसे मेवाड़ की धरती का अपमान बताया। लोगो ंने कहा कि मेवाड़ में इस तरह की बातें बर्दाश्त से बाहर है।
इसके बाद आज प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने मीडिया के माध्यम से माफी संदेश जारी करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था और वक्तव्य को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। साथ ही यह भी कहा कि वे मूलतः अहिन्दी भाषी हैं, इसलिए वक्तव्य में भाषा संबंधी असमंजस हो गया।
हालांकि लोगों का कहना है कि यदि हिंदी भाषा का ज्ञान नहीं है, तो ऐसे लोगों को हिन्दी भाषी क्षेत्रों में वीसी बनाना उचित नहीं। खासतौर पर यह ध्यान देने वाली बात है कि उनके वक्तव्य में अंग्रेजी शब्दों‘ एडमिनिस्ट्रेटर’ और पर्सपेक्टिव का प्रयोग किया गया। ऐसे में यह तो कतई नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें नहीं पता था कि वे क्या कह रही हैं। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या उन्हें अंग्रेजी शब्दों का भी अर्थ पता है या नहीं??
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के कुलगुरु को हिंदी भाषा का पर्याप्त ज्ञान नहीं होना चाहिए। नागरिक एवं शिक्षाविद समाज में यह चर्चा तेज़ हो गई है कि ऐसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए केवल हिन्दी भाषा का दक्षता होना अनिवार्य होना चाहिए। खास तौर पर उदयपुर जैसे आदिवासी बहुल इलाके में जहां पर कई स्टूडेंट बड़ी मुश्किल से हिन्दी के अलावा अन्य कोई भाषा बोल पाते हैं। उनके मनोभावों को समझने व उनकी समस्याओं आदि के समाधान के लिए हिंदी की कम्युनिकेशन स्किल होना प्राथमिक अनिवार्यता है। यदि वीसी प्रोफेसर सुनीता मिश्रा को हिन्दी में समस्या है तो उन्हें किसी भी मुद्दे पर कम से कम शिक्षविदों के बीच और सेमिनार में अपनी बात अंग्रेजी या जो भी भाषा वे जानती हैं, उसी में रखनी चाहिए ताकि उनके मुताबिक अर्थ का अन्य अर्थ नहीं निकल सके। गौर करने लायक बात यह भी है कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करने वाले व नारेबाजी करने वाले छात्रों के निष्कासन के बाद से माहौल पहले से गरमाया हुआ है। ऐसे में वीसी का यह वक्तव्य सुविवि की छवि को और अधिक डेमेज कर रहा है। इस मामले को ठंडा करने और मैनेज करने के लिए कल से ही उच्च स्तरीय प्रयास किए जा रहे हैं। वीसी का यह वक्तव्य उसकी की कड़ी है।
मेवाड़ के जन प्रतिनधि और कई स्वनाम ध्यान्य संगठन वैसे तो महाराणा प्रताव व मेवाड़ी अस्मिता जैसे हर मुद्दे पर जमकर विरोध करना शुरू कर देते हैं। बढ़ चढ़ कर बयानवीर बनने में उनको देर नहीं लगती मगर सुविवि का मामला आते ही ना जाने क्यों उनको सांप सूंघ जाता है। उनकी बोलती बंद हो जाती है। शायद यहां की पावर पॉलिटिक्स के आगे वे भी खुद को बौना पाते हैं। हालत यह हो गई है कि चित्तौड़गढ़ विधायक सुविवि के मुद्दो पर खुलकर बोल रहे हैं, जो सीधी सीधे यहां के नेताओं की पॉलिटिक्स पर सवालिया निशान है। लेकिन उदयपुर जिले विधायक किसी उपरी पॉलिटिकल प्रेशर के चलते मौनी बाबा बने हुए हैं।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.