24 news Update डूंगरपुर. डूंगरपुर ज़िले में पुलिस हिरासत में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मृतक दिलीप अहारी के परिजन और आदिवासी समाज कलेक्ट्रेट के बाहर पड़ाव डालकर बैठे हैं। बुधवार को मांगों को लेकर तीसरे दौर की वार्ता शुरू हुई। आसपुर विधायक उमेश मीणा, बीएपी नेता अनुतोष रोत, कांति भाई आदिवासी सहित 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल कलेक्ट्री पहुंचा। यहां एडीएम दिनेशचंद्र धाकड़ और एएसपी अशोक कुमार के साथ वार्ता शुरू हुई।
प्रशासन की ओर से मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने पर सहमति बनी है, लेकिन आदिवासी समाज और विधायक 1 करोड़ रुपये मुआवजा और मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी देने की मांग पर अड़े हैं।

पोस्टमॉर्टम से इनकार
विधायक उमेश मीणा ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवार की मांगों पर गंभीर नहीं है। कई दौर की वार्ता के बावजूद मुआवजे पर सहमति नहीं बनने के कारण कलेक्ट्रेट के बाहर धरना जारी है। जब तक सभी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक पड़ाव खत्म नहीं होगा और शव का पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया जाएगा। 25 सितंबर को डूंगरपुर जिले की दोवड़ा थाना पुलिस ने दिलीप अहारी को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया था। पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और अगले दिन उदयपुर रेफर किया गया। परिजनों ने पुलिस पर मारपीट के आरोप लगाए थे। इलाज के दौरान 30 सितंबर को दिलीप की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों और आदिवासी समाज ने कलेक्ट्रेट के बाहर धरना शुरू कर दिया।
आदिवासी समाज की मांगें

मृतक परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा
एक सदस्य को सरकारी नौकरी
आरोपी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।
वार्ता में प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, सांसद मन्नालाल, सांसद राजकुमार रोत, विधायक अनिल कटारा, कलेक्टर अंकित कुमार और एसपी मनीष कुमार भी मौजूद रहे। वार्ता का दौर देर तक जारी रहा।
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