24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने शुक्रवार को ग्राम पंचायत नाई के राजस्व गांव नोहरा में बहुमंजिला रिसोर्ट को सीज कर दिया। कागजों पर यह कार्रवाई बड़ी लग रही है, लेकिन असल सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े स्तर पर करोड़ों रुपए का निर्माण हो गया और यूडीए के अधिकारी व कर्मचारी अब तक आंखें मूंदकर बैठे रहे। यदि अनुमति ही नहीं थी, तो क्या प्राधिकरण के किसी कार्मिक ने इस निर्माण को होते हुए नहीं देखा?
शहरभर में चर्चा है कि यूडीए की भूमिका अब केवल यही रह गई है कि निर्माण को वर्षों तक नजरअंदाज करो, लोगों से करोड़ों का खर्च करवा दो और फिर अचानक मौके पर जाकर “बिना अनुमति निर्माण” बताकर सीज करने की कार्रवाई कर लो। यह खेल नया नहीं है, बल्कि बरसों से यहां के अफसरों और कार्मिकों की ओर से खेला जा रहा है। इसमें भ्रष्टाचार की बू साफ झलकती है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन कर्मचारियों और अधिकारियों की नाक के नीचे इतना बड़ा रिसोर्ट खड़ा हो गया, उनके खिलाफ अब तक कोई जिम्मेदारी क्यों तय नहीं हुई? आखिर वे किस नींद में थे और अपनी ड्यूटी क्यों नहीं निभा रहे थे? यदि समय रहते रोक लगाई जाती, तो इतना बड़ा नुकसान न होता, न निर्माणकर्ताओं का, न ही संसाधनों का।
जानकारों का कहना है कि यूडीए के पास करोड़ों का बजट है, आधुनिक तकनीक है, चाहे तो ड्रोन से भी अपने क्षेत्र की लाइव मॉनिटरिंग हो सकती है। लेकिन समस्या इच्छा शक्ति और ईमानदारी की है। दरअसल खेल यह चलता है कि पहले निर्माण होने दिया जाता है, फिर कार्रवाई की नौटंकी होती है, उसके बाद अचानक स्टे ऑर्डर या अनुमति आ जाती है और निर्माण जस का तस खड़ा रह जाता है। नतीजा-अधिकारियों को कार्रवाई का श्रेय भी मिल गया और असली समस्या वहीं की वहीं रह गई।
करोड़ों का अवैध रिसोर्ट बन गया और यूडीए को अब याद आई कार्रवाई! सवाल उठा-अधिकारी अब तक सो रहे थे या मिलीभगत कर रहे थे?

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