24 News update उदयपुर। फैशन इंडस्ट्री में हर सीजन के हिसाब से बदलाव होता है। इसमें वेदर फोरकास्ट की तरह आजकल फैशन फोरकास्ट के लिए पूरे साल रिसर्च वर्क होता है। इसके लिए निफ्ट में विज़ननेक्स्ट की टीम काम कर रही है। दो साल पहले ही तय हो जाता है कि आने वाले समय में फैशन में किस कलर का ट्रेंड रहेगा। इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) के एलुमिनाई की पहल सबसे ज्यादा रहती है। ये देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले इवेंट में फैशन के नए ट्रेंड्स के बारे में लोगों को एजुकेट करते है। इससे डिजाइनरों और फैशन ब्रांड्स को अपनी रणनीति बनाने में मदद मिलती है। निफ्ट की टीम फैशन इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, और उनके प्रयासों से फैशन इंडस्ट्री में नए और अनोखे ट्रेंड्स की शुरुआत हो रही है। यह कहना है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी जोधपुर के डायरेक्टर प्रो. जीएचएस प्रसाद का।
एआई और मशीन लर्निंग फैशन का भविष्य
प्रोफेसर प्रसाद ने बताया कि फैशन इंडस्ट्री में एआई और मशीन लर्निंग के प्रभाव से डिजाइन, उत्पादन और मार्केटिंग में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। एआई और मशीन लर्निंग से डिजाइनर डिजिटल मॉडल बना रहे हैं। इससे कपड़ों के नमूने और रंगों का चयन आसान होता है। एआई एल्गोरिदम पैटर्न बनाने में मदद करते हैं। इससे कपड़ों की फिटिंग और आकार की सटीकता बढ़ती है। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम फैशन ट्रेंड की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं, जिससे डिजाइनर नए ट्रेंड के अनुसार डिजाइन बनाते हैं। इसकी मदद से ग्राहकों को उनकी पसंद के कपड़े डिजाइन करने की सुविधा मिलती है। एआई पावर्ड वर्चुअल ट्राइऑन तकनीक ग्राहकों को कपड़े पहनने का अनुभव करा रही है, जिससे उन्हें खरीदने से पहले देखने का मौका मिलता है। ऑटोमेशन और डिजिटल डिजाइन से समय और मेहनत दोनों की बचत होती है।
सस्टेनेबल फैशन भविष्य की आवश्यकता
प्रोफेसर प्रसाद बताते है कि आज सस्टेनेबल फैशन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसमें नेचुरल सामग्री जैसे कपास, लिनन, सिल्क और ऊन का उपयोग होता है। रीसाइकल्ड सामग्री जैसे पुराने कपड़ों का उपयोग होता है। साथ ही ऑर्गेनिक और बायोडिग्रेडेबल सामग्री जैसे कि प्लांट-आधारित पॉलिएस्टर का उपयोग करना होता है। इसमें डिजाइन बनाने के दौरान कपड़े की बर्बादी को कम करने के लिए जीरो-वेस्ट तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसमें प्राकृतिक और कम-जहरीले रंगों के उपयोग पर जोर दिया जाता है। भारत के पारंपरिक प्रिंट जैसे कि ब्लॉक प्रिंट, बाग प्रिंट और कशीदाकारी को आधुनिक आउटफिट्स में शामिल और हस्तशिल्प तकनीक बुनाई, कताई और रंगाई का उपयोग आधुनिक वस्त्रों में करके सीधे युवाओं को प्रभावित किया जा रहा है। कई डिजाइनर पारंपरिक सामग्री जैसे कि सिल्क, ऊन और कपास का उपयोग आधुनिक फैशन में बढ़ा रहे हैं। इंटरनेशनल फैशन वीक में प्रमोट भी कर रहे हैं। इस प्रकार पारंपरिक हस्तकला के माध्यम से सस्टेनेबल फैशन को बढ़ावा देना आसान होगा। जयपुर के बगरू, सांगानेरी प्रिंट, अंकोला, बाड़मेर एप्लीक का इस्तेमाल हो रहा है।
2026 के लिए क्लाउड डांसर कलर की घोषणा
प्रसाद बताते है कि जैसे 2024 के लिए पीच फ़ज़ कलर, 2025 के लिए मोचा मूस कलर और 2026 के लिए क्लाउड डांसर कलर की घोषणा हुई है। इस तरह फैशन ट्रेंड्स डिसाइड होते हैं। रिसर्च के आधार पर ये कलर घोषित होते हैं और इनसें फैशन के नए ट्रेंड सेट हाेते हैं। हम स्लो फैशन को अपनाने की बात कर रहे हैं। लोगों से यह अपील कर रहे हैं कि स्लो फैशन को प्राथमिकता दें। इसे कैंपेन की तरह ले रहे हैं। फास्ट पॉपुलर को फॉलो करने से बहुत-से प्रॉडक्ट तेजी से वेस्ट हो रहे हैं।
सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग ने बदली फैशन इंडस्ट्री
सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग ने फैशन इंडस्ट्री को पूरी तरह से बदल दिया है। सोशल मीडिया ने फैशन ब्रांड्स को दुनियाभर के दर्शकों तक पहुंचने का मौका दिया है। इन्फ्लुएंसर्स के माध्यम से उत्पादों का प्रमोशन करने से ब्रांड्स की विश्वसनीयता बढ़ रही है। कई बार सोशल मीडिया पर ग्राहकों से सीधा संवाद करने से ब्रांड्स को उनकी पसंद और नापसंद का पता चलता है। साेशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स पर विजुअल कंटेंट के माध्यम से उत्पादों को प्रमोट करना आसान हो गया है।
इस प्रकार 3D प्रिंटिंग और वर्चुअल फैशन जैसी नवीनतम तकनीकें फैशन डिजाइन को कई तरह से प्रभावित कर रही हैं। आज 3D प्रिंटिंग से नए और अनोखे डिजाइन बनाने की संभावना बढ़ती है। ग्राहकों के लिए व्यक्तिगत डिजाइन बनाना आसान होता है। 3D प्रिंटिंग से उत्पादन प्रक्रिया में कमी आती है और समय बचता है। इस प्रकार 3D प्रिंटिंग से वेस्ट कम होता है और सामग्री की बचत होती है।
प्रसाद ने बताया कि इस प्रकार भविष्य में एआई डिजाइन प्रक्रिया में सुधार कर रहा है। 3D प्रिंटिंग से कस्टमाइज्ड और सस्टेनेबल फैशन संभव होगा। वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक से ग्राहकों को वर्चुअल ट्राइऑन और शॉपिंग अनुभव मिल रहा है। ब्लॉक चेन तकनीक से फैशन उद्योग में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ रही है। इस प्रकार अब कस्टमाइज़ कपड़े, वर्चुअल फिटिंग का जमाना है, इसमें तकनीक ने गति दी है। वर्चुअल फैशन अब तेजी से इंडस्ट्री में जगह बना रहा है। जो गेम्स में उनमें करेक्टर को ड्रेस पहनाई जाती है उसके ड्रेसेज पर काम शुरू हो गया। इसके लिए नए तरह के सॉफ्टवेयर तैयार हो रहे हैं। फैशन इंडस्ट्री में एआई और सस्टेनेबिलिटी का बढ़ता प्रभाव एक नए युग की शुरुआत कर रहा है। प्रो. प्रसाद के अनुसार, एआई और मशीन लर्निंग के प्रभाव से डिजाइन, उत्पादन और मार्केटिंग में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, और सस्टेनेबल फैशन भविष्य की आवश्यकता है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में फैशन डिजाइन में और भी नए और अनोखे बदलाव देखने को मिलेंगे।
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