उदयपुर, 19 मार्च। ‘प्रत्येक का प्रयास, राजस्थान का विकास’ इस ध्येय वाक्य को मूर्त रूप देने तथा ‘विकसित राजस्थान – 2047’ का दीर्घकालिक विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए बुधवार को प्रसार शिक्षा निदेशालय सभागार में संभाग स्तरीय हितधारकों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह कार्यशाला नीति आयोग, नई दिल्ली द्वारा परिकल्पित राज्य सहायता मिशन के तहत गठित राजस्थान परिवर्तन एवं नवाचार संस्थान (रीति) के तत्वावधान में आयोजित की गई। कार्यशाला में उदयपुर संभाग के लगभग सौ प्रतिभागियों ने भाग लिया। आयोजन की जिम्मेदारी राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रमुख ज्ञान संस्थान (एलकेआई) को सौंपी गई थी।
कार्यशाला का उद्घाटन और मुख्य बिंदु
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, प्रसार शिक्षा निदेशालय के पूर्व निदेशक डाॅ. आई. जी. माथुर ने कहा कि 2047 तक ‘हमारा राजस्थान कैसा हो’, इस संकल्पना को साकार करने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएँ महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने ‘विकसित राजस्थान – 2047’ के लिए नौ प्रमुख बिंदुओं को शामिल करते हुए योजनाएँ बनाने की आवश्यकता बताई:
- अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र
- उद्योग और बुनियादी ढांचा
- पेयजल और सिंचाई
- सामाजिक क्षेत्र
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उभरते क्षेत्र
- शहरी विकास
- रोजगार और कौशल विकास
- हरित संक्रमण एवं बिजली क्षेत्र
कार्यक्रम की अध्यक्षता और मार्गदर्शन
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला प्रमुख ममता कुंवर पंवार ने की। उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ भारत सरकार का विजन है, जिसका लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। इसी तरह, राजस्थान के लिए भी ऐसा रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए ताकि इसे ‘विकसित राजस्थान’ के रूप में देश को सौंपा जा सके। उन्होंने आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ हर परिवार के लिए पक्का घर, स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास जैसी रणनीतियाँ तैयार करने पर बल दिया।
कार्यशाला के उद्देश्य और आयोजन का विस्तार
नोडल ऑफिसर एवं राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रोफेसर डाॅ. अंशु भारद्वाज ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और कोटा में भी इसी प्रकार की संभाग स्तरीय कार्यशालाएँ आयोजित की जा चुकी हैं। इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में जयपुर में राज्य स्तरीय समापन कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जहाँ ‘विकसित राजस्थान – 2047’ के विजन, मिशन और चुनौतियों का गहन अध्ययन कर रणनीति तैयार की जाएगी।
तकनीकी सत्र और विशेषज्ञों के विचार
तकनीकी सत्र में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए:
- आर्थिक और वित्तीय प्रबंधन – हिन्दुस्तान जिंक लि. के पूर्व महाप्रबंधक (वित्त) विद्या विनोद नंदावत
- पेयजल और सिंचाई – झील संरक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मेहता
- सामाजिक क्षेत्र – कैलाश बृजवासी
- शहरी विकास – महेंद्र सिंह परिहार
- रोजगार और कौशल विकास – संजय नागपाल
- ऊर्जा क्षेत्र – डाॅ. विक्रमादित्य दवे
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – मनीष गोधा
- उद्योग क्षेत्र – नीतेश त्रिपाठी
कार्यक्रम के अंत में प्रो. पीयूष प्रसाद जानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन श्रेया भट्ट और मेघना कटारिया ने किया।

