24 News Update मुंबई. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 9 अप्रैल को लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर देश की आर्थिक दिशा को एक नई रफ्तार देने के संकेत दिए हैं। रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6.0% करने की घोषणा से न सिर्फ लोन सस्ते होंगे बल्कि इसके दूरगामी असर रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर डिमांड पर भी देखे जा सकते हैं। लेकिन इस कटौती के पीछे RBI की क्या रणनीति है? क्या यह संकेत है कि इकोनॉमिक पॉलिसी अब एक नए मोड़ पर है?
रेपो रेट कटौती: महज राहत या दीर्घकालिक रणनीति?
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित यह कटौती फरवरी के बाद दूसरी बार हुई है। इससे पहले फरवरी में रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था। अब यह 6% पर आ चुकी है। लेकिन यह लगातार कटौती इस ओर इशारा करती है कि रिजर्व बैंक एक “अकोमोडेटिव” नीति की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि RBI अब न्यूट्रल रुख से हटकर ग्रोथ सपोर्ट करने वाली मुद्रा नीति की ओर अग्रसर हो रहा है। इसका सीधा संकेत यह है कि आर्थिक विकास की गति बनाए रखने के लिए मनी फ्लो को बढ़ावा दिया जाएगा।
रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर के लिए बड़ी राहत
रेपो रेट में कमी का सबसे बड़ा फायदा घर और वाहन खरीदने वालों को होगा। होम लोन की ब्याज दरों में गिरावट से आवासीय मांग बढ़ सकती है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दो तिमाहियों में मिड-इनकम हाउसिंग सेगमेंट में बुकिंग में 20-25% तक वृद्धि हो सकती है। इसी तरह ऑटो लोन सस्ते होने से त्योहारों के सीजन तक वाहन बिक्री में भी उछाल देखने को मिल सकता है।
महंगाई दर पर RBI की नजर: संतुलन की चुनौती
हालांकि फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.61% पर आ गई है, जो 7 महीने का निचला स्तर है, लेकिन थोक महंगाई दर में मामूली बढ़ोतरी (2.38%) चिंता का संकेत हो सकता है। RBI को अब एक ओर ग्रोथ को सहारा देना है, वहीं महंगाई को 2-6% की सुरक्षित सीमा में बनाए रखना है।
क्या RBI की रणनीति सफल होगी या इसका उल्टा असर पड़ेगा? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक कितनी जल्दी ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
UPI, गोल्ड लोन और डिजिटल पेमेंट्स में भी बदलाव के संकेत
इस बार की मीटिंग में सिर्फ ब्याज दरें ही चर्चा में नहीं रहीं। NPCI को पर्सन-टु-मर्चेंट ट्रांजैक्शन लिमिट निर्धारित करने का अधिकार देने की बात कही गई है, जिससे डिजिटल पेमेंट्स में लचीलापन आएगा।
साथ ही गोल्ड लोन पर भी नए गाइडलाइंस की बात हुई है। जानकार मानते हैं कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन मिल सकता है, क्योंकि गोल्ड लोन की मांग गांवों में अधिक रहती है।
क्या कहता है भविष्य का रोडमैप?
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP और महंगाई के अनुमान पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मौजूदा रुख यह संकेत देता है कि आर्थिक ग्रोथ को प्राथमिकता दी जा रही है। रेपो रेट में यह लगातार दूसरी कटौती केवल राहत की खबर नहीं, बल्कि नीति-निर्माताओं की सोच में बड़े बदलाव का संकेत है। यह अब देखना दिलचस्प होगा कि बैंक और ग्राहक इस नीति को कितनी जल्दी अपनाते हैं और क्या यह भारत की विकास दर को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकती है।
रेपो रेट घटने से लोन सस्ते होंगे, EMI घटेगी
अब ग्राहकों को मिल सकती है राहत, देखें नई दरों के अनुसार कितना होगा फायदा
| 💰 लोन अमाउंट | 📅 अवधि (साल) | 📉 ब्याज दर | 💵 EMI (₹) | 📈 कुल ब्याज (₹) | 💼 कुल रकम (₹) |
|---|---|---|---|---|---|
| ₹20 लाख | 20 | 9% | ₹17,995 | ₹23,18,685 | ₹43,18,685 |
| ₹20 लाख | 20 | 8.75% | ₹17,674 | ₹22,41,811 | ₹42,41,811 |
| ₹30 लाख | 20 | 9% | ₹26,992 | ₹34,78,027 | ₹64,78,027 |
| ₹30 लाख | 20 | 8.75% | ₹26,511 | ₹33,62,717 | ₹63,62,717 |
📌 नोट: यह कैलकुलेशन अनुमानित दरों और सामान्य शर्तों के आधार पर तैयार किया गया है। EMI बैंक और प्रोफाइल के अनुसार बदल सकती है।

