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एबीवीपी ने MPUAT में भर्तियों की अनियमितताओं व छात्रों की समस्याओं को लेकर प्रबंध मंडल का किया घेराव, विवि प्रशासन को सौंपा 11 सूत्रीय ज्ञापन, सीट कटौती, स्कोर कार्ड विसंगति, हॉस्टल व इंटरनेट समस्याएं उठाईं

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24 News Update उदयपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बुधवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MPUAT) की प्रबंध मंडल बैठक के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन का घेराव करते हुए एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। परिषद ने वर्ष 2022 से लंबित शैक्षणिक भर्तियों की प्रक्रिया में देरी, स्कोर कार्ड में विसंगति, छात्र हितों की उपेक्षा तथा बुनियादी सुविधाओं की खस्ताहाल स्थिति पर गहरी आपत्ति जताई।

भर्ती प्रक्रिया में तीन साल से देरी, स्कोर कार्ड में भेदभाव
एबीवीपी के महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा मई 2022 में विज्ञापन संख्या 02/2022 के तहत शैक्षणिक पदों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी, लेकिन तीन वर्षों से अधिक समय बीतने के बावजूद यह प्रक्रिया अब तक पूर्ण नहीं हुई है। वहीं अन्य कृषि विश्वविद्यालयों ने इसी अवधि में दो बार भर्तियां पूरी कर ली हैं।
उन्होंने कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर पुनः नए सिरे से विज्ञापन निकाला जाए और इस बार स्कोर कार्ड की खामियों को दूर किया जाए। परिषद ने यह भी आरोप लगाया कि स्कोर कार्ड में विदेश से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को 5 अंक दिए जा रहे हैं, जबकि भारत से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को मात्र 4 अंक – जो कि अन्य कृषि विश्वविद्यालयों में निर्धारित 8 अंकों से भी कम हैं। यह एक गंभीर विसंगति है जिसे तत्काल ठीक किया जाना चाहिए।

SRF और RA के अनुभव की अनदेखी
राठौड़ ने बताया कि स्कोर कार्ड में सीनियर रिसर्च फेलो (SRF) और रिसर्च एसोसिएट (RA) के कार्य अनुभव को नहीं जोड़ा गया है, जबकि यही अनुभव परियोजनाओं की रीढ़ होते हैं। अन्य कृषि विश्वविद्यालयों ने इनका अनुभव स्कोर कार्ड में जोड़ा है, पर MPUAT ने इन्हें नजरअंदाज किया है।

सीटों में कटौती व छात्रों पर अतिरिक्त बोझ
एबीवीपी इकाई अध्यक्ष सुमित चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा स्टाफ की कमी के नाम पर कई विभागों में एमएससी और पीएचडी सीटें कम कर दी गईं, जिससे विद्यार्थियों को सीधा नुकसान हो रहा है। यदि विश्वविद्यालय समय पर भर्ती पूरी कर लेता, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
उन्होंने बताया कि सीटों की कटौती से न केवल छात्रों का नुकसान हुआ, बल्कि विश्वविद्यालय को भी आर्थिक हानि हो रही है। साथ ही छात्रों से अलग से स्पोर्ट्स फीस ली जा रही है जबकि पहले ही महाविद्यालयों में यह राशि ली जाती है। यह विद्यार्थियों के साथ धोखा है। यदि बजट की कमी है तो विश्वविद्यालय को अपने स्तर पर समाधान करना चाहिए, छात्रों पर बोझ नहीं डाला जाए।

हॉस्टल व इंटरनेट सेवाओं की बदहाली पर सवाल
एबीवीपी ने सभी संगठक महाविद्यालयों के हॉस्टलों की जर्जर स्थिति पर भी चिंता जताई। परिषद ने मांग की कि प्रत्येक हॉस्टल के नवीनीकरण के लिए एक छात्र प्रतिनिधि समिति बनाई जाए जिसमें यूजी, पीजी और पीएचडी का एक-एक छात्र शामिल हो, ताकि पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। साथ ही विश्वविद्यालय एवं इसके संगठक महाविद्यालयों के कार्यालयों व हॉस्टलों में इंटरनेट सेवाओं की दयनीय स्थिति पर भी रोष प्रकट किया गया। ज्ञापन में कहा गया कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद इंटरनेट सुविधा नाम मात्र की है। सभी विभागों ने अपने-अपने स्तर पर ब्रॉडबैंड ले रखा है जबकि दूसरी ओर विश्वविद्यालय एजेंसी को लाखों रुपये का भुगतान कर रहा है, जिससे राजकोषीय नुकसान हो रहा है। एबीवीपी द्वारा सौंपे गए 11 सूत्रीय ज्ञापन पर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गंभीरता से विचार करने व आगामी बैठक में सभी बिंदुओं पर सार्थक चर्चा का आश्वासन दिया।

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