24 News Update जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य की मेधावी छात्राओं के लिए संचालित ’इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार योजना’ को न केवल नाम बदलकर फिर से ’पद्माक्षी पुरस्कार योजना’ कर दिया है, बल्कि इसके तहत मिलने वाले लाभों में भी काफी कटौती की गई है। अब 12वीं की टॉपर लड़कियों को स्कूटी नहीं मिलेगी, और आठवीं, दसवीं और बारहवीं की पुरस्कार राशि में 15 हजार से 25 हजार रुपए तक की कमी की गई है।
शनिवार को माध्यमिक एवं प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से संशोधित आदेश जारी किए गए, जिसके तहत पुरानी योजना के लाभों को कम करते हुए आगामी शैक्षणिक सत्र से नई गाइडलाइन लागू की जाएगी।
अब बसंत पंचमी पर होगा पुरस्कार वितरण
अब यह पुरस्कार कार्यक्रम प्रतिवर्ष 19 नवंबर (इंदिरा गांधी जयंती) की बजाय बसंत पंचमी के दिन आयोजित किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिले की आठवीं, दसवीं व बारहवीं कक्षा की टॉपर छात्राओं की सूची तैयार करें, जिसमें छात्राओं को कम से कम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
वहीं स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल की कक्षा 12वीं की छात्राओं के लिए न्यूनतम 9 सीजीपीए से अधिक अंक लाना अनिवार्य किया गया है। इसके अतिरिक्त संस्कृत शिक्षा विभाग और विवेकानंद स्कूलों की छात्राओं को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
यह होगी नई पुरस्कार राशि
पिछले वर्षों तक जिन छात्राओं को बड़ी आर्थिक सहायता दी जाती थी, उस राशि में अब सीधे कटौती की गई हैं आठवीं कक्षा की टॉपर को अब ₹40,000 के स्थान पर ₹25,000 मिलेंगे। दसवीं कक्षा की टॉपर को अब ₹75,000 के बजाय ₹50,000 दिए जाएंगे। बारहवीं कक्षा की टॉपर छात्रा को अब तक ₹1 लाख के साथ स्कूटी दी जाती थी, लेकिन अब उसे सिर्फ ₹75,000 ही मिलेंगे, स्कूटी योजना समाप्त कर दी गई है। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। इसके तहत मेधावी छात्राओं को सम्मानित कर शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जाता था। भाजपा सरकार ने वर्ष 2017-18 से इस योजना का नाम बदलकर ’पद्माक्षी पुरस्कार योजना’ कर दिया था। बाद में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2019 में इसका नाम पुनः बदलकर ’इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार योजना’ कर दिया और इंदिरा गांधी की जयंती (19 नवंबर) पर जिला स्तर पर इसका आयोजन शुरू किया। अब एक बार फिर भाजपा सरकार ने योजना का नाम ’पद्माक्षी पुरस्कार’ कर दिया है और इसके साथ ही स्कूटी योजना को समाप्त करते हुए राशि में कटौती की है।
शिक्षाविदों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार के इस निर्णय को लेकर शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों में मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई लोगों का मानना है कि यह निर्णय ग्रामीण और कमजोर वर्ग की छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि और सुविधाओं में कटौती के समान है।
पद्माक्षी पुरस्कार योजना में बड़ा बदलावः अब टॉपर छात्राओं को नहीं मिलेगी स्कूटी, पुरस्कार राशि में भी कटौती

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