24 News Update डूंगरपुर। जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह को बैंक खाते उपलब्ध करवाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह अब तक करीब 25 से 30 फर्जी बैंक खाते ठगों को सौंप चुका था। इसी जालसाजी में एक खाते में 82 लाख रुपए की संदिग्ध राशि ट्रांसफर होने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। थानाधिकारी गिरधारीलाल ने बताया कि बथड़ी निवासी लालशंकर रोत ने 19 जून को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट के अनुसार, नवम्बर 2024 में गांव का ही विक्रम मालीवाड़ अपने तीन साथियों के साथ घर आया और पैन कार्ड स्कीम के नाम पर बैंक खाता खुलवाने को कहा। लालशंकर के नाम से बैंक ऑफ महाराष्ट्र में खाता खोला गया, लेकिन एटीएम, पासबुक, चेक बुक और सिम कार्ड आरोपी अपने पास रख ले गए।
कुछ दिन पहले लालशंकर जब बैंक गया तो पता चला कि उसके खाते में 82 लाख रुपए की संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुई है, जिस कारण खाता फ्रीज कर दिया गया। इसके बाद उसने विक्रम मालीवाड़, महावीर सिंह, घनश्याम कलाल और बैंककर्मी कौशल प्रजापत के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी।
25-30 खाते फर्जीवाड़े में इस्तेमाल, ठगों को खाते बेचते थे
पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने गरीब, ग्रामीण और अनपढ़ लोगों को पैन कार्ड या लोन दिलाने का लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाए और फिर ठगों को ऊंचे कमीशन पर बेच दिए। इन खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन फ्रॉड में किया गया।पुलिस ने फिलहाल विक्रम मालीवाड़ और महावीर सिंह को गिरफ्तार किया है। दोनों से पूछताछ जारी है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।
8 लोगों से की 1.61 करोड़ की ऑनलाइन ठगी
थानाधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया है कि इन खातों के जरिए देशभर में 8 लोगों से 1 करोड़ 61 लाख 19 हजार 919 रुपए की ठगी की गई। अकेले लालशंकर के खाते में ही 82 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। पुलिस इन खातों के लेन-देन की जांच कर रही है।
ठगों के नेटवर्क की तलाश में पुलिस
पुलिस ने आशंका जताई है कि यह कोई स्थानीय धोखाधड़ी नहीं, बल्कि अंतरराज्यीय साइबर ठगों का संगठित नेटवर्क हो सकता है। साइबर थाना पुलिस अब इन खातों के माध्यम से ठगों के मास्टरमाइंड और पूरे गिरोह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
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