24 न्यूज़ अपडेट भीलवाड़ा. भीलवाड़ा जिले के बड़लियास और मुकुंदपुरिया गांव में गुरुवार की शाम मातम और दर्दनाक खबर लेकर आई। जयपुर-अजमेर हाईवे पर मौखमपुरा (दूदू) के पास रोडवेज बस और ईको कार की टक्कर में 8 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 5 घनिष्ठ दोस्त भी शामिल थे, जो प्रयागराज महाकुंभ के लिए निकले थे। उनके शवों के गांव पहुंचने पर कोहराम मच गया। गांव के बाहर नदी किनारे इन दोस्तों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। हादसा गुरुवार दोपहर करीब 3 बजे जयपुर-अजमेर हाईवे पर मौखमपुरा के पास हुआ। जोधपुर डिपो की एक रोडवेज बस जयपुर से अजमेर की ओर जा रही थी। अचानक बस का टायर फट गया, जिससे वह बेकाबू होकर डिवाइडर पार कर गई और सामने से आ रही ईको कार से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार बुरी तरह पिचक गई और उसमें सवार सभी आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। कार में सवार सभी लोग भीलवाड़ा जिले के बड़लियास और मुकुंदपुरिया गांव के निवासी थे। वे महाकुंभ यात्रा के लिए निकले थे और अयोध्या भी जाने का प्लान था। हादसे ने इन परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। शुक्रवार सुबह जब दिनेश, रविकांत, मुकेश, किशनलाल और सुरेश के शव गांव पहुंचे तो कोहराम मच गया। मातम का आलम यह था कि गांव के कई घरों में चूल्हे नहीं जले। परिजनों ने मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग को लेकर अंतिम संस्कार रोक दिया। भीलवाड़ा एसडीएम दिव्यराज चुंडावत ने गांव पहुंचकर परिजनों से बातचीत की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजन अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए। गांव के बाहर नदी किनारे पांचों दोस्तों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। पूरा गांव उनकी विदाई में शामिल हुआ। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि प्रत्येक पीड़ित परिवार को 21 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए।
दो बार टाली थी यात्रा
इन दोस्तों ने पहले मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ यात्रा का प्लान बनाया था, लेकिन भगदड़ की खबरों के चलते परिवार ने उन्हें रोक दिया। फिर बसंत पंचमी पर जाने का विचार किया, लेकिन पारिवारिक कार्यक्रमों के चलते वह भी रद्द हो गया। अंततः 6 फरवरी को सभी दोस्त महाकुंभ के लिए रवाना हुए। योजना के अनुसार, वे तीन दिन प्रयागराज में रुकने वाले थे। कुंभ स्नान के बाद अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने का प्लान था। रविवार रात को भीलवाड़ा लौटने की योजना थी।
मरने वालों में ये हैं शामिल-
दिनेश (बड़लियास गांव)ः दिनेश बड़लियास गांव में मोबाइल शॉप चलाते थे। तीन भाइयों में सबसे छोटे और अविवाहित थे। वे महाकुंभ यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित थे। दुकान पर बैठकर अक्सर प्रयागराज महाकुंभ की रील्स देखा करते थे।
रविकांत (बड़लियास गांव)ः रविकांत काफी समय से इस यात्रा की योजना बना रहे थे। वे दोस्तों से कहते रहते थे कि प्रयागराज के आसपास भी घूमेंगे और अयोध्या में रामलला के दर्शन करेंगे।
मुकेश (बड़लियास गांव) : मुकेश गांव में खेती-बाड़ी का काम करते थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
किशनलाल (बड़लियास गांव) : किशनलाल गांव में किराने की दुकान चलाते थे। उनके एक बेटा और एक बेटी हैं।
सुरेश (बड़लियास गांव) : सुरेश खेती का काम करते थे और अपने परिवार के लिए हमेशा समर्पित रहते थे।
नारायणलाल (मुकुंदपुरिया गांव) : नारायणलाल किराने की दुकान पर काम करते थे। उनकी दो बेटियां हैं। उन्होंने घर से निकलते वक्त परिवार से पूछा था कि उनके लिए कुंभ से क्या लाना है।
प्रमोद (मुकुंदपुरिया गांव) : प्रमोद भी इस यात्रा का हिस्सा थे। वे अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे।
बबलू मेवाड़ा (मुकुंदपुरिया गांव) : बबलू मांडलगढ़ रेलवे दूरसंचार विभाग में कार्यरत थे। उनके बड़े भाई की कुछ समय पहले हादसे में मौत हो चुकी थी। परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटियां हैं।
5 दोस्तों का एक साथ अंतिम संस्कार, अधूरा रह गया महाकुंभ का ख्वाब, पूरे गांव में मचा कोहराम

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