Site icon 24 News Update

272 प्लॉट घोटोले से आज हिल गई विधानसभा, हिम्मतसिंह बारहठ के कारनामों का ताराचंद जैन ने खोला कच्चा चिट्ठा, मंत्री बोले-बारहठ को 10 दिन में आरोप पत्र देंगे, एसओजी चालान पेश करेगा, बड़ा सवाल पांच साल से जलेबी बन रही है, तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं हुई,,,,,,,एसओजी को अब भी समय क्यों???? कौनसे मुहूर्त का है इंतजार????,,,विस्तार से पढ़ें पूरी खबर

Advertisements

24 न्यूज अपडेट उदयपुर। 272 प्लॉट का बहुचर्चित घोटाले का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर निकल गया है। विधानसभा में उदयपुर विधायक ने मामला पिछले दिनों उठाया था जिसका जवाब आज मंत्री जाबरसिंह खर्रा ने दिया है व आयुक्त हिम्मतिंसह बारहठ को नोटिस जारी करने की बात हो रही है। मंत्री ने कहा कि इस प्रकरण में जिन भूखंडों पर स्थगन आदेश है उनको छोड़कर बाकी सब यूडीए कब्जे में लेकर नीलामी करेगा। इस मामले को बरसों से जलेबी बना कर राजनेता और अधिकारी मजे लूट रहे हैं। कोई भी सख्ती से कार्रवाई नहीं करना चाहता है क्योंकि यह साफ-साफ दिख रहा है दोनों प्रमुख दलों के नेताओं की इसमें मिलीभगत है, उच्च अधिकारी भी मिले हुए हैं। एसओजी समय पर जांच क्यों नहीं कर रही है इसके पीछे भी नेता और अफसरों का कोकस काम कर रहा हैं। जब सारे कागज सरकार के पास हैं तो कार्रवाई में अभी और देरी करने का सीधा सा मतलब है कि अभी खेल बाकी है।
आपको बता दें कि उदयपुर विकास प्राधिकरण से नगर निगम उदयपुर को 272 भूखंडों का हस्तांतरण किया गया था। इस घोटाले का मामला आज विधानसभा में जबर्दस्त गूंजा। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने कहा कि इसकी तह तक जाना जरूरी हैं यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जवाब दिया कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त हिम्मतसिंह बारहठ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कामिक विभाग आरोप पत्र जारी करेगा। 10 दिन में इसे जारी किया जाएगा। मंत्री ने इसे 100 करोड़ का घोटोला बताया तो विधायक ने कहा यह 400 करोड़ का घोटाला है। उन्होंने बारहठ के दूसरे कारनामें भी उजागर किए इस दौरान सत्ता व विपक्ष के पक्षों के बीच खासी तनातनी हुई। उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने नियम 131 के तहत सदन में ध्यानकर्षण प्रस्ताव रखा। मंत्री खर्रा ने कहा कि 2004 में यूआईटी की और से नगर निगम को 30 योजनाएं और 16 कच्ची बस्तियां स्थानांतरित की गई। उक्त 30 योजनाओं में 6,046 भूखंडों की पत्रावलियां और 16 कच्ची बस्तियों में 4,363 भूखंड सर्वेधारियों की पत्रावलियां प्राप्त हुई। नगर निगम उदयपुर ने उक्त योजनाओं के भूखंडों में 2501 नामांतरण और पटटे जारी किए गए और कच्ची बस्ती में 7 नामांतरण और 935 पटटे जारी किए गए। निगम ने उक्त भूखंडों में से 34 की नीलामी की गई जिससे करीब 11 करोड़ रुपए की आय हुई थी, इसमें कुछ के आवंटियों ने राशि जमा नहीं कराई तो स्वतः ही आवंटन निरस्त हो गया। इसके संबंध में विभागीय जांच के लिए उदयपुर नगर निगम के मेयर ने निर्देशानुसार 28 दिसंबर 2021 को जांच समिति गठित की गई। जिसमें तीन अधिकारी और तीन जनप्रतिनिधि थे। जांच कमेटी ने 14 मार्च 2022 को नगर निगम उदयपुर को यूआईटी से हस्तांरित जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें तीन अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए लेकिन जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। मंत्री ने जवाब में कहा कि जांच प्रतिवेदन में 316 पत्रावलियों के संबंध में कोई उल्लेख नहीं था, नगर निगम की और से संदिग्ध 40 खाली भूखंडों के संबंध में कोई उल्लेख नहीं था। जांच में चार कार्मिक, एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी, तीन वरिष्ठ सहायक और सहायक के खिलाफ दोषी पाए जाने पर सीसीए नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किए गए।
यूआईटी से नगर निगम स्थानांतरित योजना के घोटाले को लेकर उदयपुर के हिरणमगरी और सूरजपोल थाने में प्रकरण दर्ज हुए। इनको 25 मई 2022 को जोधपुर एसओजी यूनिट के जिम्मे किया। अनुसंधान के बाद 9 मई 23 को एसओजी यूनिट उदयपुर के जिम्मे हुआ। इसे 23 अप्रेल 24 को अग्रिम अनुसंधान के लिए एसओजी यूनिट अजमेर को सुर्पुंद किया गया। वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अजमेर की और से अनसुंधान किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद निगम के तत्कालीन आयुक्त और अन्य कार्मिकों के खिलाफ विधि अनुसार सक्षम न्यायालय में कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री बोले लगा गंभीर गड़बड़ियां हुई
मंत्री खर्रा ने कहा कि इसके साथ ही इस प्रकरण में 15वीं विधानसभा में भी बात आ गई और 16वीं में भी सवाल लग गया है। अब इस पर ध्यानाकर्षण के जरिए प्रकरण सामने आ गया। इसी सत्र में जब जवाब लेकर अधिकारी आए तो मुझे यह महसूस हुआ कि इसमें गंभीर अनियमितता हुई और वास्तवति आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और छोटे कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। मंत्री ने कहा कि मोटा-मोटा रूप में ये करीब 100 कारोड़ का गड़बड़ घोटाला है। जिन पत्रवालियों में पटटे जारी किए वे सारे कूटरचित थे, यूडीए में जो राशि जमा होनी थी उसकी फर्जी रसीदे पत्रावलियों में लगी थी।
यह था मामला
आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस के पूर्व पार्षद अजय पोरवाल ने व्हिसल ब्लोअर बनते हुए यह मामला खोला था। उन्होंने उस समय आरोप लगाए थे कि यूआईटी ने जब निगम को कुछ कॉलोनियां हस्तांतरित की थीं। इन कॉलोनियों में कई भूखंड खाली थे। इनमें से कई भूखंडों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नामांतरण भी खुलवा लिए गए।

Exit mobile version