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विधानसभा में गूंजा 272 भूखण्डोंं का प्रकरण, विधायक जैन ने कहा फाइलें गायब, एसओजी में एफआईआर दर्ज है पर नहीं हुई कार्रवाई, कांग्रेस कार्यकाल में हिम्मतसिंह बारहठ ने मात्र 40 रूपए प्रति वर्ग फीट में आवंटित कर दिया था पट्टा

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उदयपुर। यूआईटी से निगम को हस्तांतरिक किए गए 272 भूखण्ड का मामला एक बार फिर से गर्मा गया है। विधायक ताराचंद जैन ने आज विधानसभा में यह मामला उठाया व कहा कि इस मामले में कांग्रेस सरकार में एसओजी में एफआईआर दर्ज हो चुकी है पर अब तक एक भी दोषी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है। साथ ही विधायक जैन ने कहा कि चार दिन पूर्व ही करोड़ों रूपए मूल्य के 1 अन्य प्लॉट का पट्टा निरस्त किया गया है। विधायक जैन ने कहा कि वे इतने बड़े गबन पर सदन में अलग से चर्चा करना चाहते है। यूआईटी (यूडीए) से नगर निगम को कॉलोनियां हस्तान्तरित करने के दौरान उन कॉलोनी में खाली यूडीए के भूखण्डों को भी निगम को दिए गए गए ताकी निगम उनकी नीलामी कर सकें। इनमें से 272 भूखण्ड ऐसे है जिनकी पत्रावलिया ही गायब हैं। और वे किसी ना किसी भू-माफिया के कब्जे में है। इस मुद्दे पर शहर विधायक ताराचंद जैन ने विधानसभा में कहा कि यूडीए ने निगम को करीब 300 पट्टे हस्तान्तरित किए थे, जो गायब है। इनमें से एक भूखण्ड 1 करोड़ रूपए से कम का नहंीं है। कई-कई भूखण्ड 10 हजार स्क्वायर फीट तक के है और उनकी पत्रावलिया ही गायब हो चुकी हैं। विधायक जैन ने कहा कि निगम के भाजपा बोर्ड ने इस प्रकरण की जांच की, जिसमें 49 पट्टे रद्द किए और शेष का पता नहीं चल पा रहा है। तीन दिन पूर्व ही 12000 स्क्वायर फीट का एक पट्टा निरस्त किया गया है। निगम के तत्कालीन आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने कांग्रेस सरकार के कहने पर मात्र 40 रूपए प्रति वर्ग फीट में आवंटित कर दिया था। विधायक जैन ने कहा कि इस मामले में एसओजी में एफआईआर दर्ज है पर सरकार के ईशारे पर एक भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है। विधायक ताराचंद जैन ने विधानसभा में कहा कि वे इस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विधानसभा में गहन चर्चा करना चाहते है ताकी इतने बड़े गबन का खुलासा हो सकें। साथ ही भाजपा सरकार से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र ऐजेन्सी से जांच करवाई जाए और जरूरत हो तो न्यायिक बोर्ड का गठन कर इसकी जांच करवाकर इस भ्रष्टाचार को उजागर कर दोनों ही विभागों के दोषी अधिकारियों व कर्मचारियेां के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
क्या सचमुच हो पाएगी कार्रवाई
इस बारे में अब तक लोगों को संदेह है कि कार्रवाई की जाएगी क्योंकि वर्तमान सत्ता पक्ष जो पहले विपक्ष था व जो पहले सत्ता में थे, आज विपक्ष में हैं दोनों की इसमें दोस्ताना मिलीभगत साफ दिखाई देती है। वरना मजाल कि एक भी प्लाट के बारे में पता ही नहीं चल पाए। निगम में भाजपा की जड़ें मजबूत है और यदि भाजपाई ठान लें कि सारे काम छोड़ कर केवल गायब हुए प्लॉट के दस्तावेज ही खोजने हैं तो यह काम बहुत आसान है और अगर कांग्रेसी उस समय सोच लेते ही एजेंसियों के पास आए मामले की जांच करवानी है तो यह सब मिनटों का खेल था। किसने किसको कितने प्लॉट दिए इसके चर्चे जनता की अदालत में लंबे समय से हैं। जनता साफ कह रही है कि दोनों दलों की हाथ धुलाई एक साथ नहीं होती तो मजाल कि पर्देदारी हो जाती। बहरहाल विधानसभा में मामला उठाने का साहस करने के लिए आज विधायक ताराचंद जैन के खूब चर्चे हो रहे हैं। यदि वे ठान लें तो न्याय की धुंधली सी उम्मीद पुनर्जीवित हो सकती है।

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