Site icon 24 News Update

24 न्यूज अपडेट की खबर का जबर्दस्त असर : मिलीभगत का खेल खुलते ही वापस ले ली 3.6 करोड़ की निविदा, जनसंपर्क निदेशालय पर मढ़ दिया दोष

Advertisements

24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। 3.6 करोड़ के राशन के टेण्डर में महाघपले की कलई खुलकर सामने आ गई है। टेण्डर जमा करने के अंतिम दिन डूंगरपुर के टेण्डर की सूचना उदयपुर के अखबार में छापने के बाद जब 24 न्यूज अपडेट की ओर से खबर प्रकाशित की गई तो पूरा महकमा सकते में आ गया। जवाब देते नहीं बना कि ऐसा क्या हो गया कि 30 तारीख लास्ट डेट थी और टेण्डर की सूचना का विज्ञापन केवल दस्तूर पूरा करने के लिए, किसी खास के कहने पर किसी चहेते को लाभ देने के लिए अंतिम दिन ही क्यों छापा गया? अब जब जांच की आंच और कई नामों के खुलासे का अंदेशा हुआ तो आनन-फानन में पूरा टेण्डर ही निरस्त कर दिया है। जिला रसद अधिकारी, डूंगरपुर की ओर से एक कार्यालय आदेश क्रमांकः- रसद / निविदा/2025/156 जारी किया गया व निविदा को रद्द कर दिया गया। इसमें बताया गया कि पत्र क्रमांक 60 दिनांक 14.01.2025 द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत खाद्यान्न परिवहन के लिए ई-निविदा क्रमांक 5/2024-25 जारी की गई थी। निविदा प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 30.01.2025 थी। सूचना एवं जनसंम्पर्क निदेशालय राजस्थान जयपुर के स्तर से निविदा प्रकाशन में हुए विलम्ब के कारण जिला कलक्टर एवं उपापन समिति के संयुक्त निर्णयानुसार राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम 2012 व नियम 2013 के नियम 43 (11) अनुसार उक्त निविदा प्रक्रिया रद्द/निरस्त की जाती है।
आपको बता दें कि दस्तावेजों में गड़बड़ी के चलते दिसंबर में टेण्डर निरस्त करना पड़ा था। उसके बाद तुरंत वापस टेण्डर कर दिया गया व इस बार भी उदयपुर में एक अखबार में डूंगरपुर में राशन सामग्री के परिवहन का टेण्डर दे दिया गया। इसे देख कर लोग चौंक गए क्योंकि डीएसओ डूंगरपुर की ओर से जारी किए 3.6 करोड़ के टेण्डर प्रस्ताव में टेण्डर डालने की अंतिम तिथि 30 जनवरी ही लिखी हुई थी व विज्ञापन भी 30 जनवरी को ही छपा था। डूंगरपुर वाले इंतजार ही करते रह गए कि कब टेण्डर का प्रकाशन होगा। टेण्डर के आदेश 14 जनवरी को ही हो गए व ऑनलाइन आवेदन करने वालों ने कर भी दिए। लेकिन उसे नियमानुसार अखबार में तत्काल साया क्यों नहीं किया गया, इसकी जांच जरूरी है। अब विभाग बता रहा है कि डीआईपीआर स्तर पर देरी हुई है। जनसंपर्क निदेशालय ने देरी की है। लेकिन यह नहीं बता रहा है कि विज्ञापन डूंगरपुर में क्यों प्रकाशित नहीं किया गया। यदि प्रकाशित नहीं हुआ तो विभागीय स्तर पर क्या कार्रवाई की गई। कितने स्मरण पत्र दिए गए। प्रकाशित नहीं हुआ तो उस पर क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई?
अब डूंगरपुर में यह निविदा हॉट टोपिक बन गई है। लोग पूछ रहे हैं कि ऐसा कौनसा हाई पावर ठेकेदार है जिसके कारण ये खेल खेला जा रहा है। उसकी कितनी राजनीतिक एप्रोच है या फिर किसी गहरी प्रशासनिक पैंठ है कि डीएसओ स्तर पर बार-बार निरस्ती के खेल-खेले जा रहे हैं। इतने बड़े टेण्डर में आखिर किस-किस के पास से आर्थिक गंगा-जमनु बहने वाली थी?
आकपे बता दें कि डूंगरपुर में राशन सामग्री के वेयरहाउस से राशन की दुकानों तक परिवहन के टेण्डर 24 दिसंबर को निकाले गए थे। इसमें तीन फर्म ने भाग लिया था। एक फर्म के नाम टेण्डर खुल गया। बाकी को टेक्निकल फाल्ट बताते हुए बाहर किया गया। जब लोगों ने टेण्डर के डाक्यूमेंट को फर्जी बताते हुए कलेक्टर से इसकी शिकायत की तो कलेक्टर को एक्शन लेना पड़ गया। टेण्डर निरस्त कर दिए गए मगर डाक्यूमेंट के कथित रूप से फर्जी होने पर कोई कार्रवाई या फर्म को ब्लेक लिस्ट करने की कोई कार्रवाई नहीं की गई। याने कलेक्टर के स्तर पर भी मामले में अनदेखी हुई व दोषी को बचाया गया।
13 जनवरी, 2024 को टेण्डर निरस्त हुए व उसके अगले ही दिन व 14 जनवरी को नया टेण्डर ई-प्रोक्योर सरकारी वेबसाइट पर जारी हुआ। उसी दिन या उसके दो तीन दिन बाद तक अखबारों में साया नहीं किया गया। अंतिम तारीख 30 जनवरी को अचानक पता चला कि उदयपुर व एक अन्य किसी जिले में विज्ञापन दिया गया है। वह भी अंग्रेजी में है। याने कहने को यह भी कह दिया जाए कि विज्ञापन छप गया है व किसी कार्रवाई का डर भी ना रहे। लेकिन 24 न्यूज अपडेट में खबर प्रकाशित होते ही खलबली मच गई और बचने के रास्ते खोजे जाने लगे। आखिर कार टेण्डर निरस्त कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि पूरी प्रक्रिया में जनता का पैसा लगा है। दोषी कौन है? क्या कार्रवाई की जा रही है? यदि इसका उत्तर शून्य है तो यह तय है कि आगे भी ऐसा ही घालमेल होने जा राहा है। मामले में एक सीनियर बाबू स्तर के कर्मचारी की हठधर्मिता को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है जिनकी एप्रोच के आगे कई लोग नतमस्तक हो रहे हैं।ये सालभर के राशन पहुंचाने का ठेका था जिसमें वेयर हाउस से गेहूं उठा कर राशन डीलर तक भेजना था। काम केवल डूंगरपुर का था। 15 से 20 साल से ये काम प्राइवेट ट्रक एसोसिएशन कोपरेटिव संस्थान कर रही थी। जिसके पास सैंकड़ों ट्रक चालक व मालिकों का बेड़ा है। पदाधिकारी बिना प्रॉफिट लॉस के काम करते हैं। इस चेन को तोड़ कर किसी बडे हाथी को काम देने के लिए खेल खेले जा रहे हैं, ऐसी चर्चा है।

Exit mobile version