24 न्यूज अपडेट जयपुर। कहते हैं कि न्याय में देरी न्याय नहीं मिलने के बराबर होती है। 20 साल पहले नेताजी ने अफसर पर पिस्तौल तानी थी, अब जाकर उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। अब जाकर संपूर्ण न्याय मिल पाया है। ऐसे में यह साफ हो रहा है कि देश में संपूर्ण रूप से समय पर न्याय मिलना आज भी दूर की कौड़ी है। जबकि पिस्तौल तानने पर कार्रवाई हाथोंहाथ हो जानी चाहिए। ये तो नेता का मामला है सोच लीजिए कि आम आदमी होता तो क्या होता। बहरहाल, करीब 20 साल पुराने प्रकरण में आखिरकार न्याय की गूंज सुनाई दी है। एसडीएम पर पिस्तौल तानने के मामले में तीन साल की सजा पाए भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने शुक्रवार, 23 मई को इसकी अधिसूचना जारी की। यह मामला 3 फरवरी 2005 का है, जब अंता विधानसभा क्षेत्र में उपसरपंच चुनाव के दौरान एक विवाद में कंवरलाल मीणा पर तत्कालीन उपखंड अधिकारी (एसडीएम) पर पिस्तौल तानने का आरोप लगा था। इस मामले में लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया चली। पहले 2 अप्रैल 2018 को मनोहरथाना की एसीजेएम कोर्ट ने उन्हें आरोपमुक्त कर दिया, लेकिन 14 दिसंबर 2020 को झालावाड़ जिले की अकलेरा स्थित एडीजे कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए तीन साल की सजा सुना दी। इसके खिलाफ विधायक कंवरलाल ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन (सीआरपी) दायर की, जो 1 मई 2025 को खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) लगाई, जिसे 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे दो सप्ताह में कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को कंवरलाल मीणा ने मनोहरथाना की एसीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही राजस्थान विधानसभा सचिवालय ने उन्हें नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलने की स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, परंतु राहत नहीं मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष के पास सदस्यता रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। आखिरकार 23 मई को अधिसूचना जारी करते हुए कंवरलाल मीणा की सदस्यता 1 मई 2025 से प्रभावी रूप से समाप्त घोषित कर दी गई। अब राजस्थान विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 200 से घटकर 199 रह गई है और अंता विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। इस पर उपचुनाव होंगे या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट में लंबित समीक्षा याचिका पर निर्भर करेगा। इस मामले पर कांग्रेस नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कोर्ट के आदेश के 23 दिन बाद तक भी भाजपा विधायक की सदस्यता रद्द नहीं होना संविधान और न्याय प्रणाली का अपमान था, लेकिन अंततः सत्य की जीत हुई। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा की जीत बताया। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने स्पष्ट किया कि उन्हें जैसे ही राज्य के महाधिवक्ता की राय 23 मई की सुबह 10ः30 बजे प्राप्त हुई, उसी दिन संविधान सम्मत निर्णय लेते हुए सदस्यता समाप्त की गई और इस मामले में किसी भी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं था। उल्लेखनीय है कि यह पिछले आठ वर्षों में दूसरी बार है जब किसी विधायक की सदस्यता सजा के कारण समाप्त की गई है। इससे पहले बसपा विधायक बीएल कुशवाह को हत्या के मामले में उम्रकैद होने पर सदस्यता गंवानी पड़ी थी।
20 साल पहले तानी थी पिस्तौल, अब जाकर हुआ न्याय, गई विधायकी, राजस्थान विधानसभा फिर 199 के फेर में, अंता सीट रिक्त

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