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उदयपुर। कल 24 मार्च को होली का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा व इसे लेकर उदयपुर के बाजरों में खासी रौनक है। यहां जमकर होली के रंगों, पिचकारियों, मिठाइयों आदि की खरीददारी हो रही हैं। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग बाजार में पहुंच त्योहार की मस्ती में रंग कर जमकर खरीददारी का आनंद ले रहे है। हर गली-नुक्कड़ और चौराहे पर रंगों की दुकानें सज गईं हैं जहां पर बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की पिचकारियां उपलब्ध है। धानमंडी सहित अन्य बाजारों में जबर्दस्त रौनक है। बच्चों और युवाओं में स्टाइलिश विग के साथ रंग.बिरंगी पोशाकों को लेकर भी खासा आकर्षण दिख रहा है। हर्बल रंग में भी होली पर कई रंगों के गुलाल के साथ गर्मी को देखते हुए बाजारों में कई प्रकार के रंग उपलब्ध हैं। इधर परदेस से अपने देस आने और यहां से अपने देस का प्रस्थान करने की होडाहोडी मची हुई है। आज लगभग सभी बसें ओर रेलगाड़ियां ओवरलोड होकर निकलीं और ओवरलोड होकर पहुंची। कई निजी बसों में तो टिकट ही उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं व लोग बसों में भी नीचे बैठ कर यात्रा करते हुए बस किसी भी तरह से समय पर घर पहुंच जाना चाहते हैं। होलिका दहन कल है व इसे लेकर भी खासी तैयारियां हैं। पारम्परिक रूप से कुछ जगहों पर होलिका रोपण बहुत पहले ही हो चुका है लेकिन शहर में जगह-जगह बिकने आए होली के डांडों का रोपण कर कल कई मोहल्लों में भी होली जलाई जाएगी। इसके लिए चारा, बडुलिये व होलिका के गहने आदि इंस्टेंट व विभिन्न रेंज में उपलब्ध हैं व इनकी खूब बिक्री हो रही है। विभिन्न सोसायटियों में पहले से फागोत्सव के रंग उड़ रहे हैं तो मंदिरों में भी अबीर-गुलाल के ठाठ हैं।
पहले भगवान नृसिंह और आखिरी में होलिका पूजा
सबसे पहले भगवान नृसिंह का ध्यान कर के प्रणाम करना चाहिए। फिर चंदन, अक्षत और फूल सहित पूजन सामग्री चढ़ाएं। फिर प्रह्लाद का स्मरण करते हुए नमस्कार करें और पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद होली की पूजा करें। पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह होना चाहिए।
भद्रा का अर्थ मंगल करने वाला, लेकिन शुभ कार्य निषेध
हर बार होलिका का पूजन एक या दो साल के अंतराल में भद्रा की उपस्थिति में आता है। यह भी लगभग स्पष्ट है की होलिका का पूजन पर भद्रा का दोष कितना मान्य होता है या नहीं होता है।
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा का वास चंद्रमा के राशि संचरण के आधार पर बताया गया है। यदि भद्रा कन्या तुला धनु राशि के चंद्रमा की साक्षी में आती है तो वह भद्रा पाताल में वास करती है और पाताल में वास करने वाली भद्रा धन-धान्य और प्रगति को देने वाली मानी गई है। इस दृष्टि से इस भद्रा की उपस्थिति शुभ मंगल कारी मानी गई है।
यह रहेगा मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि कल यानि 24 मार्च को प्रातः 09ः55 से पृथ्वी लोक की अशुभ भद्राकाल के साथ प्रारंभ होकर 25 मार्च दोपहर 12ः29 मिनट तक रहेगी। वहीं भद्रा काल रात्रि 11ः12 बजे तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने इस बार की होलिका दहन के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि रविवार व्रत की पूर्णिमा तथा परसों यानि 25 मार्च को स्नान, दान की पूर्णिमा रहेगी। भद्राकाल में होलिका दहन तथा पूजन निषेध है। पूजन के लिए लिए भी भद्रा का पुच्छ काल और मुख काल देखा जाता है। इन दोनों के समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन किया जाता है। 24 मार्च को भद्रा पुच्छ काल शाम 06ः34 बजे से 07ः54 मिनट तक रहेगा। वहीं, शाम 7ः54 से रात्रि 10ः07 बजे तक भद्रा मुख काल रहेगा। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में रात्रि 11ः12 मिनट से 12ः24 तक रहेगा, लेकिन लोकाचार एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार को सूर्योदय से पूर्व होलिका दहन किया जा सकता है। होली की पूजा के बारे में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि दहन करने से पूर्व होलिका की पूजा की जाती है। 24 मार्च को भद्रा पुच्छ काल सांय 06ः34 बजे से 07ः54 मिनट तक रहने के कारण होलिका पूजन करना। इस समय अत्यंत शुभ रहेगा।
हर तरफ छाया होली का उल्लास

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